“अगर घर वापसी नहीं होती, तो आदिवासी राष्ट्र-विरोधी हो जाते”: मोहन भागवत

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दावा किया है कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने कार्यकाल के दौरान संघ के घर वापसी कार्यक्रम की प्रशंसा की थी। भागवत के अनुसार, मुखर्जी ने कहा था कि अगर संघ ने धर्मांतरण रोकने का प्रयास नहीं किया होता, तो आदिवासियों का एक बड़ा वर्ग राष्ट्र-विरोधी हो सकता था।…

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टुसु पर्व और मकर संक्रांति: विविधता में एकता का पर्व

भारत त्योहारों की भूमि है, जहाँ हर पर्व प्रकृति, संस्कृति और परंपराओं का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता है। मकर संक्रांति और इससे जुड़े पर्व, जैसे टुसु पर्व, भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से मनाए जाते हैं, लेकिन इनका मूल उद्देश्य एक ही है – प्रकृति के साथ सामंजस्य और समाज में समृद्धि की…

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जनजातीय मंत्रालय ने बाघ अभयारण्यों से वनवासियों की बेदखली पर मांगी रिपोर्ट

जनजातीय मंत्रालय ने राज्यों से बाघ अभयारण्यों से वनवासियों को बेदखल करने के मामलों में स्पष्टीकरण मांगा है। वन संरक्षण अधिनियम के तहत वनवासियों को अवैध बेदखली से बचाने के लिए मंत्रालय ने राज्यों को कानून का पालन सुनिश्चित करने हेतु एक संस्थागत तंत्र विकसित करने का निर्देश दिया है। मंत्रालय ने यह भी कहा…

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The Inuit People: A Legacy of Resilience, Culture, and Connection to the Arctic

The Inuit people, indigenous to the Arctic regions of North America, Greenland, and parts of Siberia, have a rich cultural heritage that reflects their deep connection to the environment. Their traditions, practices, and stories have evolved over thousands of years, shaped by the challenges and opportunities of life in one of the harshest climates on…

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गोंड आदिवासियों का कछारगढ़ तीर्थ: सांस्कृतिक पुनरुत्थान और सामूहिक पहचान का प्रतीक

महाराष्ट्र के गोंदिया जिले में स्थित कछारगढ़, गोंड आदिवासियों के लिए न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह उनकी सांस्कृतिक पहचान और इतिहास का प्रतीक भी है। धानेगांव गांव की गुफाओं में देवी काली कंकाली का मंदिर स्थापित है, जो मैकल पहाड़ियों का हिस्सा हैं। गोंडी भाषा में कछारगढ़ का अर्थ है “अयस्क…

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Jaipal Singh Munda: The Champion of Tribal Rights and India’s Hockey Hero

Jaipal Singh Munda, an iconic figure in Indian history, was a man of many talents. Born on January 3, 1903, in Takra Pahantoli village in the Khunti district of present-day Jharkhand, he excelled as a sportsman, administrator, politician, and advocate for tribal rights. Fondly remembered as “Marang Gomke” (Great Leader) by the Adivasi communities, his…

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खरसावां गोलीकांड: आजाद भारत का जालियांवाला बाग, जब 50,000 आदिवासियों पर बरसी गोलियां

1 जनवरी का दिन, जब दुनिया नए साल का स्वागत करती है, आदिवासी समाज इसे शोक दिवस के रूप में याद करता है। यह सिलसिला 1948 से शुरू हुआ, जब भारत आजादी के केवल पांच महीने पुराने सफर पर था। उसी समय, खरसावां ने स्वतंत्र भारत के इतिहास में एक दर्दनाक घटना देखी, जिसे ‘खरसावां…

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धुमकुड़िया 2025: धरोहर से भविष्य तक, धुमकुड़िया के माध्यम से युवा सशक्तिकरण की नई पहल

रांची: आदिवासी समाज की सांस्कृतिक, शैक्षणिक और सामुदायिक पहचान को पुनर्जीवित करने के लिए टीम धुमकुड़िया रांची ने आगामी 25 दिसंबर 2024 को एक दिवसीय करियर गाइडेंस कार्यक्रम का आयोजन किया है। कार्यक्रम अरगोड़ा स्थित वीर बुद्धु भगत धुमकुड़िया भवन में किया जाएगा। इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं को करियर निर्माण में मार्गदर्शन देना, साथ…

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झारखंड: रांची में उरांव जनजाति की महिला पर धर्म परिवर्तन का दबाव

लोहरदगा जिले के सेन्हा प्रखंड के बरवा टोली निवासी झरिया उरांव (36) ने आरोप लगाया है कि उनकी पत्नी सकलपति उरांव (32) को जबरन धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया जा रहा है। उन्होंने इस मामले में रविवार को राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) की सदस्य डॉ. आशा लकड़ा को लिखित शिकायत सौंपी। इसके अलावा,…

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राजस्थान: दो रिटायर्ड अफसरों ने बनाया पहला निजी आदिवासी विश्वविद्यालय

जय मीनेश आदिवासी विश्वविद्यालय ने 2024 में अपनी दूसरी वर्षगांठ पूरी की और आदिवासी शिक्षा और शोध के क्षेत्र में नए मानक स्थापित किए हैं। विश्वविद्यालय का नाम राजस्थान की मीणा जनजाति के पूजनीय देवता मीनेश जी के नाम पर रखा गया है, जो जनजातीय पहचान को संरक्षित करने का प्रतीक है। यह विश्वविद्यालय दुनिया…

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10 most Expensive cities in the World धरती आबा बिरसा मुंडा के कथन