राँची, झारखंड – सिरमटोली स्थित सरना स्थल के सामने फ्लाईओवर निर्माण में रैंप उतारने के विरोध में जारी आंदोलन की रिपोर्टिंग कर रही आदिवासी महिला पत्रकार सुनीता मुंडा के खिलाफ पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर को लेकर झारखंड में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। पत्रकारों, कलाकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों ने इसे प्रेस की स्वतंत्रता और आदिवासी अधिकारों पर हमला बताया है।
डोरंडा थाना प्रभारी इंस्पेक्टर दीपिका प्रसाद द्वारा चुटिया थाना में दर्ज कराए गए आवेदन में आरोप है कि 24 और 25 अप्रैल की रात निर्माण स्थल पर ड्यूटी के दौरान सुनीता मुंडा और तीर्थनाथ आकाश सहित अन्य लोगों ने विधि व्यवस्था में बाधा डाली, अभद्र व्यवहार किया और विरोध कर रही महिलाओं को उकसाया। आरोप है कि महिलाएं निर्माण कार्य में लगी मशीनों के सामने कूद पड़ीं, जिससे सुरक्षा को खतरा हुआ।
इस मामले ने राजनीतिक और सामाजिक रंग ले लिया है। विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि सरकार, विशेष रूप से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, जो स्वयं संथाल समुदाय से आते हैं, सरना स्थल जैसे संवेदनशील धार्मिक स्थलों की रक्षा के प्रति गंभीर नहीं हैं। सरना धार्मिक स्थल के सामने फ्लाईओवर रैंप निर्माण को लेकर आदिवासी समुदाय में पहले से ही असंतोष है।
सुनीता मुंडा की गिरफ्तारी की आशंका और उनके खिलाफ दर्ज केस को लेकर झारखंड के कई सामाजिक संगठनों और पत्रकार समूहों ने निंदा करते हुए कहा कि यह कदम आदिवासी समुदाय की आवाज और स्वतंत्र पत्रकारिता को दबाने की कोशिश है। कई कलाकारों, बुद्धिजीवियों और सामाजिक संगठनों ने सोशल मीडिया पर #StandWithSunitaMunda अभियान भी शुरू किया है।
यह मामला राज्य में आदिवासी अस्मिता, धार्मिक स्वतंत्रता और प्रेस की आज़ादी जैसे मूलभूत मुद्दों को एक साथ जोड़ता है। सवाल यह उठ रहा है कि क्या आदिवासी समुदाय से आने वाली महिला पत्रकारों की आवाज को यूं ही दबाया जाएगा? और क्या सरना स्थल की सांस्कृतिक पहचान को विकास कार्यों की आड़ में नष्ट किया जा सकता है?
इस घटनाक्रम को लेकर झारखंड सरकार की चुप्पी और प्रशासनिक कार्रवाई कई सवाल खड़े कर रही है, जिसका जवाब राज्य की जनता मांग रही है।