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होलिका दहन: पौराणिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व

होलिका दहन भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख पर्व है, जिसे होली के एक दिन पहले फाल्गुन पूर्णिमा की रात को मनाया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और सामाजिक सौहार्द, आध्यात्मिकता, तथा सांस्कृतिक परंपराओं से जुड़ा हुआ है। पौराणिक कथा होलिका दहन की सबसे प्रचलित कथा भक्त प्रह्लाद और…

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कौन हैं लाला जगदलपुरी? जिन्होंने हल्बी में लिखी रामायण

बस्तर के प्रतिष्ठित साहित्यकार स्वर्गीय लाला जगदलपुरी ने भगवान श्रीराम के दंडकारण्य प्रवास की कथा को अपनी लेखनी से समृद्ध किया। लगभग पांच दशक पहले, उन्होंने स्थानीय आदिवासी बोली हल्बी में राम चालीसा और राम कथा की रचना की थी। श्रीराम के दंडकारण्य प्रवास पर आधारित ये दोनों रचनाएँ आज भी उनके परिजनों के संरक्षण…

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दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ता धर्म: इस्लाम, ईसाई धर्म या हिंदू धर्म?

धर्म हमेशा से समाज और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है। समय के साथ विभिन्न धर्मों की जनसंख्या बदलती रहती है, जिसमें जन्म दर, धर्मांतरण और सामाजिक-राजनीतिक कारकों की अहम भूमिका होती है। यह लेख विश्लेषण करता है कि वर्तमान में कौन सा धर्म सबसे तेजी से बढ़ रहा है और इसके पीछे के मुख्य…

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यदि मांस का सेवन करना क्रूर है तो दलाई लामा मांस क्यों खाते हैं?

दलाई लामा से जब यह सवाल पूछा जाता है कि यदि करुणा बौद्ध धर्म का मूल सिद्धांत है, तो फिर वे स्वयं मांसाहार क्यों करते हैं, तो वे इसका उत्तर बड़े स्पष्ट और तार्किक ढंग से देते हैं। उनका उत्तर केवल व्यक्तिगत पसंद तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह तिब्बती संस्कृति, परंपरा, भूगोल और बौद्ध…

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The Enigma of the Swastika: A Prehistoric Symbol Connecting Cultures Across Continents

The swastika, a symbol recognized globally today, possesses a history that extends back approximately 15,000 years. This emblem has been discovered on five continents, predating known interactions among ancient civilizations, and presents a compelling enigma in the study of human cultural development. Origins and Early Depictions Archaeological findings have unveiled swastikas etched into ancient structures’…

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बेणेश्वर धाम: आदिवासियों का कुंभ और आस्था का संगम

राजस्थान के डूंगरपुर जिले में स्थित बेणेश्वर धाम एक पवित्र तीर्थस्थल है, जिसे ‘बागड़ का पुष्कर’ और ‘आदिवासियों का कुंभ’ कहा जाता है। यह स्थल तीन नदियों—सोम, माही और जाखम—के संगम पर स्थित है, जिससे इसे आध्यात्मिक और प्राकृतिक दृष्टि से विशेष महत्त्व प्राप्त है। यहां का बेणेश्वर मेला भारत के प्रमुख आदिवासी मेलों में…

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10 most Expensive cities in the World धरती आबा बिरसा मुंडा के कथन