वन कानूनों और आदिवासी आवास पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की समीक्षा कर रहा केंद्र: जुएल ओराम

केंद्र सरकार हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के उस अहम आदेश का विस्तृत अध्ययन कर रही है, जिसमें कहा गया है कि वन (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2023 के तहत ‘वन’ की परिभाषा केवल उन क्षेत्रों पर लागू होगी जो 25 अक्टूबर 1980 या उससे पहले वन के रूप में दर्ज थे। कोर्ट ने साथ…

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पहला ‘रोज केरकेट्टा साहित्य सम्मान’ विश्वासी एक्का को

रांची : झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा की ओर से यह घोषणा की गई है कि पहला ‘रोज केरकेट्टा साहित्य सम्मान’ वर्ष 2025 के लिए विश्वासी एक्का को उनकी चर्चित कहानी संग्रह ‘कोठी भर धान’ के लिए प्रदान किया जाएगा। यह सम्मान समारोह आगामी 7 दिसंबर 2025 को रांची में आयोजित होगा। यह पुरस्कार झारखंड…

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Tribal Entrepreneurs: The New Drivers of India’s Progress

For centuries, India’s tribal communities—custodians of forests, rivers, and ancestral knowledge—have remained on the periphery of the nation’s economic narrative. Yet today, a quiet revolution is unfolding across these very landscapes. From Jharkhand’s rural artisans to Odisha’s agri-entrepreneurs and Maharashtra’s bamboo-based cooperatives, tribal men and women are not just preserving heritage; they are redefining India’s…

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11 नवंबर 1908 : बिरसा के “उलगुलान” से जन्मा छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (CNT Act)

धरती, अधिकार और अस्तित्व की न्यायपूर्ण कहानी प्रस्तावना : जब विद्रोह ने कानून को जन्म दिया 11 नवंबर 1908—भारतीय औपनिवेशिक इतिहास की वह तारीख जब ब्रिटिश हुकूमत को आदिवासी प्रतिरोध की आग ने एक ऐसा कानून बनाने पर विवश कर दिया, जिसने आगे चलकर झारखंड की पहचान तय की।यह था छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम, 1908 (Chotanagpur…

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मध्यप्रदेश में आदिवासी महिलाएँ अधिकारी के पैरों में गिरीं, जमीन पर न्याय की गुहार

श्योपुर (मध्यप्रदेश):मध्यप्रदेश के श्योपुर ज़िले के करहाल तहसील कार्यालय में दो आदिवासी महिलाएँ न्याय की गुहार लगाते हुए अधिकारी के पैरों में गिर गईं। यह घटना न केवल प्रशासनिक तंत्र की संवेदनहीनता को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि किस तरह आदिवासी महिलाएँ अपने अधिकारों के लिए व्यवस्था के सामने बेबस नज़र…

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गारो जनजाति का 49वां वांगला फेस्टिवल धूमधाम से संपन्न: ढोलों की गूंज में झलकी संस्कृति और आस्था

मेघालय की धरती तीन दिनों तक ढोल-नगाड़ों की गूंज से थर्राती रही. पश्चिम गारो हिल्स के चिब्राग्रे क्षेत्र में आयोजित 49वां वांगला फेस्टिवल (Wangala Festival) पूरे जोश और पारंपरिक उल्लास के साथ संपन्न हुआ. नवंबर की सुनहरी धूप में यह उत्सव मानो गारो समाज की जीवनशक्ति बन गया, जिसने पूरे राज्य को उत्सवमय बना दिया।…

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चौथा जयपाल-जुलियुस-हन्ना साहित्य पुरस्कार समारोह और बहुभाषाई आदिवासी-देशज काव्यपाठ 9 नवंबर को

रांची एक बार फिर आदिवासी साहित्य के रंगों से सराबोर होने जा रहा है। प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन के तत्वावधान में चौथा जयपाल-जुलियुस-हन्ना साहित्य पुरस्कार समारोह और बहुभाषाई आदिवासी-देशज काव्यपाठ का आयोजन 9 नवंबर को पद्मश्री रामदयाल मुंडा ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट (टीआरआई) हॉल, मोरहाबादी में किया जाएगा। इस राष्ट्रीय स्तर के एक दिवसीय साहित्यिक आयोजन का…

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लुगुबुरु घांटाबाड़ी धोरोम गाढ़: संताल समाज की आत्मा का पर्वत

झारखंड की धरती केवल कोयले और जंगलों की नहीं, बल्कि असंख्य जीवंत परंपराओं, आस्थाओं और सांस्कृतिक चेतना की धरती है। इन्हीं पहाड़ियों और वनों के बीच बसा है — लुगुबुरु घांटाबाड़ी धोरोम गाढ़, जो संताल समाज के लिए धर्म, संस्कृति और पहचान का सबसे पवित्र स्थल माना जाता है।यह केवल एक तीर्थ नहीं, बल्कि आदिवासी…

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राष्ट्रीय एकता दिवस पर आदिवासियों का शोक: सरदार पटेल की मूर्ति के साए में विस्थापन की कहानी

आज 31 अक्टूबर को पूरा देश सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मना रहा है। प्रधानमंत्री से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तक, सभी भारत की अखंडता में सरदार पटेल के योगदान को याद कर रहे हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रम, एकता दौड़ और ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ स्थल पर भव्य…

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शेखावाटी के आदिवासी समुदाय ने ST दर्जे की मांग को लेकर तेज़ की आवाज़

राजस्थान, 30 अक्टूबर:राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र में आदिवासी समुदायों ने अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा पाने के लिए एकजुट होकर अपनी आवाज़ बुलंद की है। चूरू, झुंझुनू और सीकर जिलों के कई ब्लॉकों में बसे इन समुदायों का कहना है कि उन्हें अब तक वह संवैधानिक मान्यता नहीं मिली, जिसके वे सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक…

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10 most Expensive cities in the World धरती आबा बिरसा मुंडा के कथन