प्रख्यात आदिवासी लेखिका डॉ. रोज केरकेट्टा का निधन: साहित्य और समाज को अपूरणीय क्षति

झारखंड की प्रख्यात आदिवासी लेखिका, कवयित्री, सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षिका डॉ. रोज केरकेट्टा का 84 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनके निधन से न केवल आदिवासी समाज, बल्कि हिंदी और जनजातीय साहित्य जगत को भी एक गहरी क्षति पहुंची है। वे न सिर्फ एक संवेदनशील रचनाकार थीं, बल्कि जनजातीय अस्मिता, भाषा और संस्कृति…

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नेतरहाट फायरिंग रेंज आंदोलन: शांतिपूर्ण संघर्ष की मिसाल

नेतरहाट, झारखंड – नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के खिलाफ आदिवासी समुदाय द्वारा चलाया गया आंदोलन भारतीय इतिहास में शांतिपूर्ण संघर्ष की एक अद्वितीय मिसाल है। लगभग तीन दशकों तक चले इस आंदोलन ने सरकार को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया। प्रत्येक वर्ष 22 और 23 मार्च को इस आंदोलन की याद…

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असम चुनाव और कोच-राजबंशी समुदाय की एसटी दर्जे की मांग

गृह मंत्री अमित शाह के असम दौरे से पहले कोच-राजबंशी समुदाय ने एक बार फिर अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग दोहराई है। यह मांग कोई नई नहीं है, बल्कि पिछले तीन दशकों से यह समुदाय इस दर्जे के लिए संघर्ष कर रहा है। कोच-राजबंशी समुदाय की मांगें शनिवार को कोच-राजबंशी समिति के…

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लद्दाख में सरकारी नौकरियों में ST आरक्षण 85% होगा

बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में लद्दाख में सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए आरक्षण बढ़ाने पर चर्चा हुई। केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम में संशोधन कर लद्दाख में ST समुदाय के लिए आरक्षण 85% तक बढ़ाने की योजना बना रही है। लद्दाख की कुल जनसंख्या में लगभग 80% लोग अनुसूचित जनजाति से…

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महिला दिवस विशेष: आदिवासी समाज की संघर्षशील और प्रेरणादायक महिलाएं

आदिवासी महिलाएं अपने समाज, संस्कृति और अधिकारों के लिए दशकों से संघर्ष कर रही हैं। उनके प्रयासों ने न केवल उनके समुदायों में बदलाव लाया है, बल्कि देशभर में सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस महिला दिवस पर हम कुछ ऐसी आदिवासी महिलाओं की कहानियां…

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‘डार्क हॉर्स’ और नजीर हेम्ब्रोम: भाषा, अनुवाद और सांस्कृतिक संवाद

‘डार्क हॉर्स’ ‘नजीर हेम्ब्रोम’ को डार्क हॉर्स का ओलचिकी लिपि का इस्तेमाल करते हुए अनुवाद के लिए, साथ ही साहित्य अकादेमी अवार्ड मिलने पर तहे दिल से बधाई. “डार्क हॉर्स” एक अंग्रेज़ी मुहावरा है, जिसका अर्थ है अप्रत्याशित रूप से सफलता प्राप्त करने वाला व्यक्ति। हिंदी में इसे ‘छुपा रुस्तम’ भी कहा जा सकता है।…

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भगोरिया महोत्सव को राज्य स्तरीय पर्व का दर्जा, आदिवासी संस्कृति संरक्षण की नई पहल

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भगोरिया महोत्सव को राज्य स्तरीय पर्व के रूप में मान्यता देने की घोषणा की। सरकार ने आश्वासन दिया कि इस पारंपरिक त्योहार की मौलिकता को बनाए रखते हुए इसे पूरे सम्मान के साथ मनाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने ‘आदिवासी देवलोक महोत्सव’ के दौरान कहा कि वे स्वयं भी इन…

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बाहा पर्व: प्रकृति और परंपरा का उत्सव

भारत के आदिवासी समुदायों की संस्कृति और परंपराएँ उनकी प्रकृति-केन्द्रित जीवनशैली को दर्शाती हैं। इन्हीं परंपराओं में से एक महत्वपूर्ण पर्व है बाहा पर्व, जिसे फूलों का त्योहार भी कहा जाता है। यह त्योहार झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, और छत्तीसगढ़ के संथाल, मुंडा, हो, और उरांव समुदायों द्वारा मनाया जाता है। बाहा पर्व केवल एक…

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झारखंड में आदिवासियों की सरकारी नौकरियों में भागीदारी: चौंकाने वाले आंकड़े

झारखंड में आदिवासी समुदाय राज्य की आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, लेकिन सरकारी नौकरियों में उनकी भागीदारी बेहद कम है। 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य की कुल जनसंख्या का 26.2 प्रतिशत हिस्सा आदिवासी समुदाय से आता है। बावजूद इसके, सरकारी और स्थायी नौकरियों में उनकी हिस्सेदारी न के बराबर है। आदिवासी समुदाय की…

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1901 और 1941 की जातिगत जनगणना में लोहरा आदिवासी

झारखंड के इतिहास में ब्रिटिश शासन के दौरान और उसके बाद भी जातिगत जनगणना एक महत्वपूर्ण विषय रहा है। लोहरा आदिवासी समुदाय का इतिहास अन्य प्रमुख जनजातियों—मुंडा, संथाल, उरांव, खड़िया और हो—के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है। झारखंड के रांची, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, लातेहार और खूंटी जिलों में निवास करने वाले लोहरा आदिवासियों की…

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10 most Expensive cities in the World धरती आबा बिरसा मुंडा के कथन