ओडिशा में आदिवासी भूमि पर अतिक्रमण या खरीद पूरी तरह से अवैध है। यदि कोई आदिवासी भूमि खरीदता है, तो उसे अवैध घोषित कर संबंधित व्यक्ति को भूमि से बेदखल कर दिया जाएगा, और वह भूमि उसके मूल आदिवासी स्वामी को लौटा दी जाएगी। यह जानकारी ओडिशा के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री सुरेश पुजारी ने दी।
विधानसभा में विधायक भास्कर मधेई के सवाल का जवाब देते हुए मंत्री ने बताया कि भूमि सुधार अधिनियम, 1960 के तहत आदिवासी भूमि की खरीद-फरोख्त गैरकानूनी है। मंत्री ने कहा कि ऐसे मामलों में भूमि सही स्वामियों को वापस कर दी जाती है। वर्तमान में 654 मामले इस संबंध में विचाराधीन हैं।
मंत्री ने यह भी कहा कि आदिवासी भूमि पर अतिक्रमण करने वाले मामलों में भी यही प्रक्रिया अपनाई जाती है। ऐसे 881 मामले अब तक दर्ज हुए हैं। इसके अलावा, 19,690 मामलों में गैर-आदिवासियों द्वारा खरीदी गई भूमि को अवैध करार देकर मूल आदिवासी स्वामियों को लौटाने की प्रक्रिया चल रही है।
कानून और नियमों का सख्त पालन
मंत्री पुजारी ने स्पष्ट किया कि 1960 के अधिनियम की धारा 30(ए) के अनुसार, प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा आदिवासी भूमि पर अतिक्रमण पाए जाने पर राजस्व विभाग उनके खिलाफ कार्रवाई करता है। उप कलेक्टरों को गैर-आदिवासियों द्वारा अतिक्रमित भूमि मामलों पर निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है। यदि भूमि सौंपने में कानूनी अड़चन हो, तो उसे अवैध घोषित कर मूल आदिवासी स्वामी को लौटाया जा सकता है।
आदिवासी भूमि में कमी: CAG रिपोर्ट
हालांकि सरकार आदिवासी भूमि की सुरक्षा के लिए कदम उठा रही है, लेकिन आंकड़े चिंताजनक हैं। भारत के महालेखा परीक्षक (CAG) की 2022 की एक मसौदा रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक दशक में ओडिशा में आदिवासी भूमि में 12% की कमी आई है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2005-06 में आदिवासियों के पास 17.48 लाख हेक्टेयर भूमि थी, जो 2015-16 में घटकर 15.38 लाख हेक्टेयर रह गई। इस दौरान 2.10 लाख हेक्टेयर भूमि की कमी दर्ज की गई। वहीं, अनुसूचित जाति और अन्य समूहों के भूमि स्वामित्व में वृद्धि हुई है।
संशोधित कानून और विवाद
14 नवंबर 2023 को, राज्य सरकार ने अनुसूचित क्षेत्रों में अचल संपत्ति हस्तांतरण कानून में संशोधन किया, जिससे आदिवासी अपनी भूमि गैर-आदिवासियों को राज्य सरकार की अनुमति से बेच सकते थे। हालांकि, इस संशोधन की तीव्र आलोचना हुई, और सरकार ने इसे वापस ले लिया।
आदिवासी समुदाय और उनकी निर्भरता
2011 की जनगणना के अनुसार, ओडिशा में 95.91 लाख आदिवासी रहते हैं, जो राज्य की जनसंख्या का 22.85% और देश की आदिवासी जनसंख्या का 9.2% हैं। राज्य में 62 जनजातीय समुदाय हैं, जिनमें से 13 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) हैं।
आदिवासी मुख्यतः खेती और वन उत्पादों पर निर्भर हैं। उनके जीवन और आजीविका के लिए भूमि का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है।
आदिवासी भूमि संरक्षण ओडिशा सरकार के लिए एक अहम मुद्दा है। यदि वर्तमान सरकार अतिक्रमण और अवैध खरीद पर रोक लगाने में सफल होती है, तो यह आदिवासियों की आजीविका और अधिकारों की रक्षा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।