मलती मुर्मू: जब एक महिला ने पेड़ के नीचे स्कूल खड़ा कर दिया

By firstpeople.in “जहां सरकारें चुप थीं, वहां मलती मुर्मू ने chalk उठा लिया।” झारखंड और बंगाल के सीमांत पर बसे गांवों में कोई नया क्रांतिकारी आंदोलन नहीं हुआ। न ही कोई बड़ा राजनीतिक भाषण दिया गया। लेकिन एक महिला ने—अपने आंगन में, एक पेड़ के नीचे, अपने बच्चों और पड़ोस के बच्चों को बिठाकर—वह कर…

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एत्वा उराँव (फादर जे. बखला) : आदिवासी शिक्षा और भाषा आंदोलन के अग्रदूत

जन्म: 12 अगस्त 1951देहांत: 9 जुलाई 2025 झारखंड की भूमि ने कई महान सपूतों को जन्म दिया है जिन्होंने न केवल अपने समुदाय के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा का कार्य किया है। इन्हीं में एक नाम है एत्वा उराँव, जिन्हें फादर जे. बखला (Fr. J. Baxla) के नाम से भी जाना जाता…

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Tribal Leadership in Modern India: From the Margins to the Mainstream

✍️ By Vijay Oraon | FirstPeople.in In the changing landscape of Indian democracy, one of the most significant and inspiring developments has been the rise of tribal leadership at both state and national levels. Once confined to the margins, Adivasi (tribal) voices are now occupying top constitutional, executive, and political positions in India, rewriting the…

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पार्वती तिर्की को मिला साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार, आदिवासी चेतना और प्रकृति को कविता में दी पहचान

रांची | 18 जून 2025प्रसिद्ध आदिवासी कवयित्री और हिंदी साहित्य की युवा आवाज़ पार्वती तिर्की को 2025 का साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार प्रदान किया गया है। यह सम्मान उन्हें उनके पहले काव्य संग्रह ‘फिर उगना’ के लिए दिया गया है, जो वर्ष 2023 में राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित हुआ था। साहित्य अकादमी द्वारा…

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ओडिशा में आदिवासी ईसाइयों पर घर वापसी का दबाव: फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट

ओडिशा के नबरंगपुर जिले के सिउनागुडा गांव में चार आदिवासी ईसाइयों को अपने परिजन के अंतिम संस्कार के लिए हिंदू धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया गया। यह खुलासा छह सदस्यीय फैक्ट-फाइंडिंग टीम की रिपोर्ट में हुआ है, जिसने बालासोर में समुदाय के नेताओं और ग्रामीणों से बातचीत के बाद यह निष्कर्ष निकाला। दफनाने के…

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नेतरहाट फायरिंग रेंज आंदोलन: शांतिपूर्ण संघर्ष की मिसाल

नेतरहाट, झारखंड – नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के खिलाफ आदिवासी समुदाय द्वारा चलाया गया आंदोलन भारतीय इतिहास में शांतिपूर्ण संघर्ष की एक अद्वितीय मिसाल है। लगभग तीन दशकों तक चले इस आंदोलन ने सरकार को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया। प्रत्येक वर्ष 22 और 23 मार्च को इस आंदोलन की याद…

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तमिलनाडु के आदिवासी समुदायों को ST प्रमाण पत्र प्राप्त करने में कठिनाई क्यों हो रही है?

आज़ादी के बाद अनुसूचित जनजातियों (Scheduled Tribes) की पहली सूची संविधान के अनुच्छेद 342(2) के अनुसार 1950 में प्रकाशित की गई थी, जिसमें ST को शामिल करने और बाहर करने के लिए स्पष्ट नियम बनाए गए थे। इस सूची में 1956, 1976, 2003, और हाल ही में 3 जनवरी, 2023 को संशोधन किए गए। हालांकि,…

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महिला दिवस विशेष: आदिवासी समाज की संघर्षशील और प्रेरणादायक महिलाएं

आदिवासी महिलाएं अपने समाज, संस्कृति और अधिकारों के लिए दशकों से संघर्ष कर रही हैं। उनके प्रयासों ने न केवल उनके समुदायों में बदलाव लाया है, बल्कि देशभर में सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस महिला दिवस पर हम कुछ ऐसी आदिवासी महिलाओं की कहानियां…

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वित्तीय वर्ष 2025 में राजस्थान के आदिवासियों को क्या मिला?

राजस्थान सरकार ने इस साल के बजट में आदिवासी विकास को प्राथमिकता देते हुए, इसके लिए आवंटित राशि को 1,500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,750 करोड़ रुपये कर दिया है। यह बढ़ोतरी आदिवासी क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास, सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण और आजीविका से जुड़े कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की…

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संथाल समाज और कुत्ता विवाह: एक सांस्कृतिक परंपरा का विश्लेषण

भारत के आदिवासी समाजों में विभिन्न रीति-रिवाज और परंपराएँ देखने को मिलती हैं, जो उनकी सांस्कृतिक पहचान और धार्मिक मान्यताओं को दर्शाती हैं। संथाल समुदाय, जो झारखंड, बिहार, ओडिशा, और पश्चिम बंगाल में मुख्य रूप से बसा हुआ है, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं के लिए जाना जाता है। इन्हीं परंपराओं में से एक…

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10 most Expensive cities in the World धरती आबा बिरसा मुंडा के कथन