स्वशासन व्यवस्था और पेसा कानून: वर्तमान बहस पर विचार
भारत की परंपरागत स्वशासन व्यवस्थाएं, जैसे माझी परगना, मनकी मुंडा, ढोकलो सोहोर, और पड़हा राजा, केवल आदिवासी समाज की सांस्कृतिक धरोहर ही नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक स्वायत्तता के उत्कृष्ट उदाहरण भी हैं। इन व्यवस्थाओं का इतिहास राजा-महाराजाओं और उपनिवेशवाद के दौर से लेकर वर्तमान भारतीय संविधान तक जुड़ा हुआ है। 1996 में लागू पेसा (पंचायत्स एक्सटेंशन…