विजय उरांव फर्स्ट पीपल के लिए
पूर्वोत्तर भारत में हर साल नागालैंड में मनाया जाने वाला हॉर्नबिल फेस्टिवल भारत के सबसे आकर्षक त्योहारों में से एक है. इस त्योहार को नागालैंड के राजधानी कोहिमा के किसामा के नागा गांव में मनाया जाता है. इस आयोजन का उद्देश्य नागा सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन करना और अंतर-जनजातीय सहयोग को बढ़ावा देना है.
हॉर्नबिल फेस्टिवल हर साल 1 से 10 दिसंबर तक मनाया जाता है। इस साल त्यौहार का 24 संस्करण मनाया जाएगा। हॉर्नबिल महोत्सव एक ऐसा त्योहार है जो राज्य की संस्कृति का जश्न मनाता है. दिसंबर के महीने में सर्दियों के मौसम में आयोजित होने वाले इस मेले में काफी संख्या में सैलानी आते हैं.
इस त्योहार में होने वाला कार्यक्रम राज्य की राजधानी कोहिमा से लगभग 12 किलोमीटर दूर किसामा में नागा हेरिटेज विलेज में आयोजित किया जाएगा.
इसे त्योहारों का त्योहार इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें नागालैंड की सभी जनजातियों को अपनी संस्कृति और परंपराओं को प्रदर्शित करने का अवसर मिलता है.
बता दें कि होर्नबिल एक पक्षी है. जो नागालैंड के जंगलों में अक्सर पाया जाता है. इसी पक्षी के नाम के आधार पर इस त्यौहार का नामकरण किया गया है. यह पक्षी नागाओं की सांस्कृतिक पहचान भी है.
यह त्यौहार ना सिर्फ सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण, विभिन्न जनजातियों के मेल-मिलाप और एक दूसरे के सम्मान-सहयोग के लिए है. बल्कि देश के अन्य राज्यों से आए लोगों को यहां के आदिवासियों और उनके रीति-रिवाज, रहन-सहन, बोल-चाल व वेशभूषा के बारे में विस्तार में जानने और समझने का मौका देता है.
फेस्टिवल को भव्य बनाने के लिए कई गतिविधियां, शिल्प-कला, भोजन उत्सव और खेलों को शामिल किया जाता है. इसके अलावा पेंटिंग, वुड कार्विंग और मूर्तियां बनाने जैसी पारंपरिक कलाकृतियां भी सम्मिलित किए जाते हैं. इसके साथ फैशन प्रस्तुतियाँ, सौंदर्य प्रतियोगिता, पारंपरिक तीरंदाजी, नागा कुश्ती, स्वदेशी गतिविधियां और संगीत प्रदर्शन भी शामिल हैं. नागालैंड और भारत देश के अन्य क्षेत्रों से आए लोग इन सब गतिविधियों देखने-समझने के साथ-साथ भाग लेकर भी आनंद उठा सकते हैं.
इस त्योहार की शुरूआत साल 2000 में नागालैंड सरकार ने कराई थी. जिसका उद्देश्य नागा जनजातियों को आपस में एक दूसरे से परिचित कराना व देश दुनिया को नागा समाज की संस्कृति से रूबरू कराना था.