तवांग फेस्टिवल: अरुणाचल प्रदेश में यह त्यौहार क्यों मनाया जाता है

अरुणाचल प्रदेश का पर्यटन विभाग पर्यटकों के आकर्षण और पारंपरिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए इस त्योहार को मनाता है। अरुणाचल प्रदेश की समृद्ध विविध परंपराओं और संस्कृतियों के बारे में जानने के लिए तवांग एक अद्भुत त्योहार है। महोत्सव का नाम तवांग अरुणाचल प्रदेश के एक हिल स्टेशन तवांग के नाम पर रखा…

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आदिवासियों की जमीन लूट में राज्य सरकार का मौन समर्थन : अलेस्टेयर बोदरा

झारखंड उलगुलान संघ के तत्वावधान में छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 की 115वीं वर्षगांठ के अवसर पर Friday को कचहरी मैदान में स्थापित शताब्दी शिलालेख का पारम्परिक ढंग से दिरी-चपी अनुष्ठान विभिन्न गांव के पाहनों द्वारा संयुक्त रूप सम्पन्न किया गया. बाद मे वीर शहीद बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर ग्राम मुंडाओं की अगुवाई में माल्यार्पण…

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झारखंड: जंगल पर निर्भर जनजातियों को हेमंत का उपहार, अबुआ वीर दिशोम अभियान आरंभ

हेमंत सोरेन सरकार ने झारखंड में छह नवंबर से अबुआ वीर दिशोम अभियान आरंभ करने की योजना बनाई है। आदिवासियों-मूलवालियों को जल, जंगल, जमीन अभियान के तहत यह योजना आरंभ की गई है। आज से हेमन्त सरकार इसकी शुरुआत करेंगे। वनों पर निर्भर रहने वाली जनजातियों को इस योजना में वनाधिकार का पट्टा दिया जायेगा।…

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लद्दाख के आदिवासी बहादुरी और बुद्ध में आस्था के लिए जाने जाते हैं: राष्ट्रपति

लद्दाख के आदिवासी बहादुरी और बुद्ध में आस्था के लिए जाने जाते हैं. भगवान बुद्ध का अमर और जीवंत संदेश लद्दाख के माध्यम से दूर-दूर के देशों में फैला. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि लद्दाख में कई आदिवासी समुदायों की समृद्ध परंपराएं जीवित हैं। उन्होंने कहा कि लोग प्रकृति के प्रति स्नेह और सम्मान…

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धर्म बदला तो आदिवासियों ने दफ़नाने पर लगाई रोक

झारखंड के चाईबासा में ईसाई धर्म अपनाने वाले व्यक्ति की मौत के बाद कब्र में दफनाने पर विवाद खड़ा हो गया. आदिवास समाज के लोगों ने दफनाने का विरोध किया. इसके बाद ईसाई धर्म के लोगों ने अपनी जमीन में उसे दफन किया। बताया जा रहा है कि सामूदायिक कब्र में दफन करने के खिलाफ…

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पारम्परिक “गोमहा पूनी (परब)” के पीछे का दर्शन

गणेश माँझी गोम्हा पूनी यानि सावन के महीने का आखिरी और पूर्णिमा का दिन. गोमहा पूनी तक रोपा-रोपने के बाद फसल खेतों में लगभग बढ़ने वाले स्थिति में होते हैं, हालाँकि अब धीरे-धीरे ये प्रक्रिया धीमी हो चुकी है, शायद जलवायु परिवर्तन, समय से बारिश का न होना एक वजह हो सकता है. बचपन से…

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आदिवासियों का धर्मांतरणः इंदिरा, मोदी, RSS, ईसाई मिशनरियों का रुख और डिलिस्टिंग की मांग का क्या है कनेक्शन?

यह धर्मांतरण का मुद्दा ऐसा रहा है जिसपर हिन्दू और ईसाई समुदाय के अगुआ तो बोलते रहे, लेकिन आदिवासी समाज के अंदर से इसके खिलाफ कभी संगठित आवाज नहीं निकली. जब कभी प्रयास हुए भी, उसको राजनैतिक तौर पर विफल कर दिया गया. हालांकि एक बार फिर यह मांग देश के कुछ आदिवासी बहुल राज्यों…

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बिरसा आंदोलन के 125 साल बाद आदिवासियों के लिए क्या बदला?

बिरसा मुंडा: कल आज और कल-1 कृति मुण्डा नाम है उसका, घर के चौथे मंजिल में लगभग बंद सी रहती है. दिन में शायद ही कभी निकलती है. सबसे खास बात है उसे निकलने नहीं दिया जाता है. अब उसे आदत सी हो गयी है कि अब उसे निकलने की जरुरत भी नहीं पड़ती है….

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जोहार क्या है? जानिए

व्यक्ति के द्वारा शुरू में जोहार, जोआर (मुंडा/संताल/हो), सेवा जोहार और इसका जवाब ‘सेवा-सेवा’/ ‘सेवा-सेवा-सेवा जोहार/ जय जोहार (मध्य-पश्चिम भारत) कहा जाता है. ‘सेवा-जोहार’, ‘सेवा-सेवा-सेवा जोहार’ भटकाव नहीं है बल्कि आदिवासी कबीलाई समुदाय के एक दूसरे से मिलने से उत्पन्न शब्द हैं जो किसी-न-किसी प्रकार से पूरब-पश्चिम, और उत्तर-दक्षिण के आदिवासियों का एक मिलाप बिंदु…

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यहां के आदिवासी बनाते हैं जीवित पुल, जो वर्ल्‍ड हेरिटेज साइट्स में है शामिल

भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्रों जीवित पेड़ों के जड़ों से पुल बनाया जाता है. जिंदा पेड़ों की जड़ों से बने ब्रिज बेहद ही खास है. इसे दुनिया का सबसे मजबूत पुल माना जाता है. दरअसल, भारत के पूर्वोत्‍तर राज्‍य मेघालय में बने इस पुल के सामने दुनिया के कई ब्रिज आपको फीके लगने लगेंगे.करीब दो सौ…

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10 most Expensive cities in the World धरती आबा बिरसा मुंडा के कथन