झारखंड: जंगल पर निर्भर जनजातियों को हेमंत का उपहार, अबुआ वीर दिशोम अभियान आरंभ

हेमंत सोरेन सरकार ने झारखंड में छह नवंबर से अबुआ वीर दिशोम अभियान आरंभ करने की योजना बनाई है। आदिवासियों-मूलवालियों को जल, जंगल, जमीन अभियान के तहत यह योजना आरंभ की गई है। आज से हेमन्त सरकार इसकी शुरुआत करेंगे।

वनों पर निर्भर रहने वाली जनजातियों को इस योजना में वनाधिकार का पट्टा दिया जायेगा। जरूरतमंदों को वनाधिकार का पट्टा निजी और सामुदायिक स्तरों पर मिलेगा। इसकी मांग अर्से से चली आ रही थी। वनों की रक्षा की दिशा में इस प्रयास को मील का पत्थर बताया जा रहा है।

क्या है अबुआ वीर दिशोम योजना

झारखंड के लगभग 27 प्रतिशत भूभाग पर जंगल है। इसमें विभिन्न जनजातीय समुदाय के लोग निवास करते हैं। जंगल उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। वे जंगलों, जंगली जानवरों और वनस्पति का भी संरक्षण करते हैं।

सरकार का मानना है कि जंगलों की रक्षा स्थानीय स्तर पर लोगों को अधिकार देकर की जा सकती है। इसी सोच को धरातल पर उतारने के लिए अबुआ वीर दिशोम योजना की शुरूआत की जा रही है।

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वनाधिकार समितियों का गठन कर निर्धारित होगा पट्टा

अबुआ वीर दिशोम अभियान में अनुमंडल व जिला स्तर पर वनाधिकार समितियों का गठन किया गया है। यही समितियां वनाधिकार पट्टा के लाभुकों का निर्धारण करेंगी। समिति की अनुशंसा पर कार्य होगा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर इस अभियान के लिए एप और वेबसाइट बनाई गई है।

अबुआ वीर दिशोम अभियान का पहला चरण अगले माह दिसंबर में पूरा होगा। इन माध्यमों से इस बात की पूरी जानकारी मिलेगी कि किस जिले में कितनी वनाधिकार समितियां संचालित हो रही है और कौन-कौन ग्रामसभाएं सक्रिय है। इससे वनाधिकार का पट्टा देने के अभियान में तेजी के साथ-साथ पारदर्शिता भी आएगी।

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