हम बिखरे हुए नहीं, राष्ट्र-समुदाय हैं: हेमंत सोरेन

झारखंड की क्रांतिभूमि पर हाल ही में एक ऐतिहासिक मिलन हुआ, जब देशभर के विभिन्न राज्यों से आए आदिवासी समुदाय के प्रतिनिधियों ने एकजुट होकर अपनी आवाज, अपनी पहचान और अपने अधिकारों को फिर से दृढ़ता से उठाया। इस अवसर पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जो बातें कहीं, वे केवल एक भाषण नहीं…

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निरंजन कुमार कुजुर NYU Abu Dhabi के ‘Indigenous Cinema: South Asian Perspectives’ सम्मेलन में शामिल होंगे

रांची/अबू धाबी। दक्षिण एशियाई स्वदेशी सिनेमा की आवाज़ों को वैश्विक स्तर पर एक मंच प्रदान करने वाला प्रतिष्ठित तीन दिवसीय सम्मेलन “Indigenous Cinema: South Asian Perspectives” न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी अबू धाबी (NYUAD) में 8–10 दिसंबर 2025 को आयोजित हो रहा है। इस आयोजन में भारत के युवा और प्रख्यात आदिवासी फिल्मनिर्माताओं में शामिल निरंजन कुमार कुजुर…

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Albert Ekka: Remembering the Adivasi Hero Who Changed the Course of the 1971 War

Ranchi, Jharkhand:As India marks another year since the decisive 1971 Indo-Pakistan War, the nation remembers Lance Naik Albert Ekka, the Adivasi soldier from Gumla whose extraordinary bravery turned the tide in one of the conflict’s most critical battles. Awarded the Param Vir Chakra (PVC) posthumously, Ekka’s legacy continues to inspire generations across India and Bangladesh….

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11 नवंबर 1908 : बिरसा के “उलगुलान” से जन्मा छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (CNT Act)

धरती, अधिकार और अस्तित्व की न्यायपूर्ण कहानी प्रस्तावना : जब विद्रोह ने कानून को जन्म दिया 11 नवंबर 1908—भारतीय औपनिवेशिक इतिहास की वह तारीख जब ब्रिटिश हुकूमत को आदिवासी प्रतिरोध की आग ने एक ऐसा कानून बनाने पर विवश कर दिया, जिसने आगे चलकर झारखंड की पहचान तय की।यह था छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम, 1908 (Chotanagpur…

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अराकू कॉफी बनी विश्व ब्रांड: आदिवासी किसानों की मेहनत को मिला ‘चेंजमेकर ऑफ़ द ईयर 2025’ सम्मान

आंध्र प्रदेश के मान्यम क्षेत्र की शान अराकू कॉफी को राष्ट्रीय स्तर पर ‘चेंजमेकर ऑफ़ द ईयर 2025’ का सम्मान मिला है। यह उपलब्धि न केवल एक ब्रांड की सफलता की कहानी है, बल्कि आदिवासी किसानों की मेहनत, आत्मनिर्भरता और पहचान की गूंज भी है। गिरिजन सहकारी निगम (GCC) की प्रबंध निदेशक कल्पना कुमारी, जिन्होंने…

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सुहानी कोल: बिचरपुर की आदिवासी बेटी जो संघर्ष से उठकर जर्मनी के फुटबॉल मैदान तक पहुँची

मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के बिचरपुर गाँव की 15 वर्षीय आदिवासी लड़की सुहानी कोल आज पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई हैं।जिस बच्ची ने बहुत छोटी उम्र में परिवार, सुरक्षा और सहारा सब कुछ खो दिया था, वही आज अपनी मेहनत और लगन के बल पर जर्मनी में फुटबॉल प्रशिक्षण के लिए…

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वेतन रोका, घर लौटने से रोका – गुजरात से छुड़ाए गए झारखंड के 13 मजदूर

गुजरात में नियोक्ता द्वारा कथित उत्पीड़न और बकाया वेतन न मिलने की शिकायत करने वाले झारखंड के 13 प्रवासी मजदूर राज्य सरकार और जनप्रतिनिधियों के हस्तक्षेप के बाद सुरक्षित रूप से अपने घर लौट आए हैं। सभी मजदूर पूर्वी सिंहभूम जिले के बहरागोड़ा प्रखंड के मतिहाना पंचायत के रहने वाले हैं। वे कुछ महीने पहले…

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सम काइंड ऑफ़ ‘अफरमेटिव ऐक्शन’ संकुचित नहीं एक बृहत् सोच है

सम काइंड ऑफ़ ‘अफरमेटिव ऐक्शन’ लगभग सभी देशों में है जिसके तहत देश, राज्य, समाज, और गांव के समुचित विकास के लिए प्रयास किया जाता रहा है. कुछ भी नहीं तो बेरोजगारी भत्ता, बृद्धा पेंशन जैसी सुविधाएँ हैं. जिस दिन हरेक गांव, बस्ती, राज्य और देश अपना बाजार और विकास संभाल लेगा उस दिन सरकार…

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ज़मीन और घर के बिना आदिवासियों की वापसी मुश्किल: NCST

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) ने छत्तीसगढ़ सरकार और केंद्र सरकार से अपील की है कि 2005 के आसपास माओवादी हिंसा के कारण विस्थापित हुए आदिवासी परिवारों के लिए ठोस पुनर्वास योजना बनाई जाए। आयोग ने स्पष्ट किया है कि लौटने वाले हर परिवार को खेती और रहने के लिए कम से कम पांच एकड़…

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10 most Expensive cities in the World धरती आबा बिरसा मुंडा के कथन