कहते हैं, मेहनत और संकल्प से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। ऐसा ही कर दिखाया है जमुई जिले की सीमा ने, जो मुसहर समाज की पहली ग्रेजुएट बेटी बनकर अब एएनएम (सहायक नर्सिंग मिडवाइफ) के रूप में सेवा दे रही हैं।
बाल विवाह से इनकार, शिक्षा को चुना
बरहट प्रखंड के कटका गांव की सीमा ने समाज की परंपराओं को चुनौती देते हुए बाल विवाह से इनकार किया और अपनी शिक्षा जारी रखी। पढ़ाई पूरी करने के बाद अब वह जमुई के एक निजी क्लीनिक में नर्स के रूप में कार्यरत हैं। इसके साथ ही, अपने गांव में लोगों को मुफ्त चिकित्सा सुविधा भी देती हैं।
संघर्ष और सफलता की कहानी
सीमा के पिता दिहाड़ी मजदूर हैं, जबकि उनकी मां सरकारी स्कूल में रसोईया हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद, उन्होंने अपने सपने को साकार किया। इंटरमीडिएट के बाद परिवार ने उनकी शादी करवाने की कोशिश की, लेकिन सीमा ने शिक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई और परिवार को भी अपनी बात मानने के लिए मजबूर कर दिया।
मुसहर समाज की पहली एएनएम
मुसहर समुदाय, जिसे महादलित श्रेणी में रखा जाता है, में आमतौर पर लड़कियों की पढ़ाई अधूरी रह जाती है और कम उम्र में उनकी शादी कर दी जाती है। लेकिन सीमा ने इस प्रथा को तोड़ते हुए यह साबित कर दिया कि इच्छाशक्ति और परिश्रम से कुछ भी संभव है।
आगे की राह
सीमा का सपना डॉक्टर बनने का था, लेकिन सीमित संसाधनों के कारण उन्होंने नर्सिंग को चुना। हालांकि, उनका उद्देश्य हमेशा से समाज की सेवा करना ही था। कटका महादलित टोले की लगभग 700 की आबादी में सीमा अकेली ऐसी लड़की हैं जिन्होंने स्नातक की डिग्री हासिल की है।
सीमा की यह प्रेरणादायक कहानी हर युवा को अपने सपनों के प्रति समर्पित रहने और सामाजिक बाधाओं को तोड़ने की सीख देती है।