संसदीय समिति ने पीवीटीजी योजनाओं में फंड की कमी पर जताई चिंता

संसद की स्थायी समिति ने 2022-23 में विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूहों (PVTGs) की विकास योजनाओं के तहत फंड की कमी पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। समिति ने पाया कि झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों को कोई आवंटन नहीं किया गया, जबकि इन राज्यों में आदिवासी आबादी…

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महेश्वर सोरेन: संताल भाषा साहित्य के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार 2024

ओडिशा के मयूरभंज जिले के उदड़ा प्रखंड के जामोड़िया गांव निवासी 44 वर्षीय महेश्वर सोरेन को उनकी संताली नाटक “सेचड सावंता रेन अंडा मनमी” के लिए प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। फार्मेसी ऑफिसर से साहित्यकार तक का सफर महेश्वर सोरेन वर्तमान में कटक के जगन्नाथपुर स्वास्थ्य केंद्र में फार्मेसी ऑफिसर के रूप…

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मुठभेड़ में बच्चों को भी लगी गोली: अबूझमाड़ की घटना पर सवाल

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में 12 दिसंबर को सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ में चार नाबालिगों को भी गोली लगने की खबर है। पुलिस का दावा है कि नक्सलियों ने अपने बड़े नेताओं को बचाने के लिए इन बच्चों का ढाल की तरह इस्तेमाल किया। घायल बच्चों का गांव में पारंपरिक जड़ी-बूटियों से इलाज…

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कैसी सामूहिक विवाह जिसमें शामिल सभी जोड़े पहले से शादीशुदा?

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में 16 दिसंबर को एक अनोखा सामूहिक विवाह समारोह आयोजित किया गया, जिसमें 61 ऐसे जोड़ों ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ शादी की, जो पहले से ही साथ रह रहे थे और जिनमें से अधिकांश के बच्चे भी थे। यह आयोजन मल्लारपुर में पुरबांचल कल्याण आश्रम द्वारा किया गया। आर्थिक…

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चकमा और हजोंग समुदाय: बांग्लादेश में धार्मिक और जातीय उत्पीड़न का एक आलोचनात्मक विश्लेषण

चकमा और हजोंग समुदाय बांग्लादेश के चटगांव पहाड़ी इलाकों (CHT) में रहने वाले आदिवासी समूह हैं, जो मुख्य रूप से धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यक हैं। चकमा समुदाय मुख्यतः बौद्ध धर्म का पालन करता है, जबकि हजोंग समुदाय हिंदू धर्म से जुड़ा है। विभाजन के बाद से ही इन समुदायों को उनके धर्म, भाषा और सांस्कृतिक…

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Jodhaiya bai baiga: जनजातीय कला की अमर विरासत

जोधैया बाई बैगा (Jodhaiya bai baiga), पद्म श्री सम्मानित बैगा जनजातीय कलाकार, ने पारंपरिक बैगा कला को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई। 86 वर्ष की आयु में 15 दिसंबर 2024 को उनका निधन हुआ। प्राकृतिक रंगों और सांस्कृतिक प्रतीकों से समृद्ध उनकी कला, भारतीय जनजातीय परंपरा की अमूल्य धरोहर है। उनका योगदान अमर रहेगा।

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संथाली लेखकों ने आदिवासी भाषा के संरक्षण और प्रचार की मांग की

अखिल भारतीय संथाली लेखक संघ (AISWA) ने संथाली भाषा को झारखंड और वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने की अपील की है। संघ के महासचिव रवींद्र नाथ मुर्मू ने बताया कि हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के रायरंगपुर दौरे के दौरान AISWA के प्रतिनिधिमंडल ने उनसे मुलाकात की और एक ज्ञापन सौंपा। इसमें संथाली भाषा…

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अमर शहीद वीर नारायण सिंह: छत्तीसगढ़ के पहले स्वतंत्रता सेनानी की गाथा

अंग्रेजों ने वीर नारायण सिंह को फांसी देने के बाद उनके शव को तोप से उड़ा दिया। आज, 10 दिसंबर, छत्तीसगढ़ के अमर शहीद वीर नारायण सिंह का शहादत दिवस है। 1857 में इसी दिन उन्हें रायपुर के “जय स्तंभ चौक” पर फांसी दी गई थी। वीर नारायण सिंह का जीवन और योगदान वीर नारायण…

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10 most Expensive cities in the World धरती आबा बिरसा मुंडा के कथन