आंध्र प्रदेश: कम्युनिस्ट नेता ने सीएम को क्यों लिखा पत्र, और कहा आदिवासियों को मुआवजा दे

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (Communist Party of India (Marxist)) पार्टी ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा कि जमीन और जीविका खोने वाले परिवारों से मुलाकात करें।

दरअसल, आदिवासियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग-516ई (National Highway-516E) बनने के कारण अपनी जमीन और जमीन से जुड़ी आजीविका छोड़नी पड़ी है, उन सब आदिवासियों को मुआवजा देने की मांग की है।

सीपीआई नेता ने पत्र में बताया है कि राज्य सरकार ने विजयनगरम और राजमुंदरी के बीच एनएच परियोजना के लिए अनुमति दे दी है. जिसके बाद अल्लूरी सीतारमा राजू ज़िले के अनंतगिरि, अराकु, डुम्ब्रीगुडा, हुकुमपेट, पाडेरू, जी मदुगुला, जीके वीधी, कोय्युरू और राजावोममंगी में ठेकेदार 30 प्रतिशत काम पूरा कर सकते हैं.

इस प्रक्रिया में राजमार्ग के दोनों ओर जिरायती और वन पोडू भूमि सहित लगभग 50 एकड़ भूमि नष्ट हो गई.

उन्होंने पत्र में लिखा है, “पोडु भूमि जनजातियों के लिए आजीविका का मुख्य स्रोत है. लगभग 1,500 आदिवासी परिवारों द्वारा कॉफी के बागान, धान और हल्दी की फसलें उगाई जाती हैं. लेकिन कॉफ़ी बागानों को मनमर्जी से हटाया जा रहा है.”

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इसके अलावा पत्र में श्रीनिवास राव ने अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए लिखा है की अधिकारियों ने भूमि अधिग्रहण मानदंडों का पालन नहीं किया है.

उन्होंने यह भी बताया है कि पीईएसए यानी अनुसूचित क्षेत्र पंचायत विस्तार (PESA-Panchayat Extension of Scheduled Areas) की राय नहीं मांगी गई है.

यह सरकार की जिम्मेदारी है कि लंबे समय से यहां रहने वाले आदिवासियों को जमीन पर अधिकार प्रदान करे.

इसके अलावा उन्होंने कहा कि ठेकेदारों ने पानी की पाइपलाइनों एंव मंदिरों को भी नष्ट कर दिया है.

वी. श्रीनिवास राव ने मुख्यमंत्री से निवेदन किया है कि वह उन संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करे. जिन्होंने आदिवासी के अधिकारों को दबाया है.

इसके साथ ही वह यह सुनिश्चित करें कि एक ग्राम सभा आयोजित की जाए और भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 के अनुसार प्रभावित लोगों को मुआवजे की घोषणा की जाए.

वैसे तो आदिवासी इलाकों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं है लेकिन कई बार सरकार कोई बड़ा निर्माण कार्य कराती है जैसे हाईवे, बांध या बड़ी ईमारातें आदि बनाती है तो वहां पर रहने वाले लोगों को विस्थापित करवा दिया जाता है.

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लेकिन इन विस्थापित लोगों के पास कहीं और जाकर रहने के लिए कोई जगह नहीं होती हैं क्योंकि निर्माण कार्य के समय इन लोगों को यह कहकर हटा दिया जाता है कि कार्य पूरा होने के बाद इन लोगों को जगह दे दी जाएगी. लेकिन निर्माण पूरा होने के बाद भी इन लोगों को रहने की कोई जगह नहीं दी जाती है और न ही मुआवजा दिया जाता है.

इसके अलावा कई बार अगर मुआवजा दिया भी जाता है तो वो इन लोगों के जीवन यापन के लिए बहुत कम होता है.

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