महाराष्ट्र: नासिक में आदिवासियों ने दूसरा धर्म अपनाने वालों को एसटी सूची से हटाने की मांग की

महाराष्ट्र के नासिक और पुणे के सैकड़ों आदिवासियों ने रविवार को यहां एक मोर्चा निकाला और मांग की कि जो लोग दूसरे धर्मों में परिवर्तित हो गए हैं, उन्हें आदिवासी समुदायों को दिए जाने वाले लाभ नहीं मिलना चाहिए.

मोर्चा में आए आदिवासियों ने कहा की जो लोग धर्म परिर्वतन कर चुके हैं वे अब आदिवासी नहीं है इसलिए उन्हें सूची से हटा दिया जाना चाहिए.

रैली का नेतृत्व केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती पवार, मध्य प्रदेश के पूर्व न्यायाधीश प्रकाश उइके और मध्य प्रदेश के पूर्व डिप्टी कलेक्टर रामचंद्र खराड़ी के द्वारा किया गया.

आदिवासियों ने केंद्र सरकार से संविधान में एक खंड शामिल करने के लिए कहा है, जो उन आदिवासियों को सूची से हटा दे, जिन्होंने अपना धर्म बदल लिया है ताकि उन्हें आदिवासी समुदायों को दिए जाने वाले लाभों को उठाने से रोका जा सके.

भारती पवार ने कहा की आदिवासी समुदायों को अपने अधिकारों के लिए अब जागना होगा और आवाज उठानी होगी. 2006 में स्थापित जनजाति सुरक्षा मंच उनके अधिकारों के लिए प्रयास कर रहा है.

See also  Understanding Tribal Religious Code in India and the Treatment by Other Religious Scriptures

पवार ने कहा कि जब कोई दूसरा धर्म अपनाता है तो वह आदिवासी समुदाय की परंपराओं को त्याग देता है. उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि वे आदिवासियों के लिए सुविधाओं के लिए अयोग्य हैं. हालांकि वे आस्था के लाभों के हकदार हैं.

कानून द्वारा कोई भी व्यक्ति एक साथ दो लाभ का हकदार नहीं है. त्रिपुरा के उनाकोटी और नॉर्थ त्रिपुरा ज़िले के दो चकमा आदिवासी परिवारों ने बीते साल नवंबर में ईसाई धर्म अपना लिया था.

दोनों परिवारों का दावा है कि धर्म परिवर्तन करने के महीने भर बाद चकमा समुदाय ने उन्हें समाज से बहिष्कृत कर दिया.
दोनों परिवारों ने पहले समुदाय के भीतर बातचीत के ज़रिए और फिर स्थानीय अधिकारियों और पुलिस में शिकायत देकर मामला सुलझाने की कोशिश की लेकिन समस्या का समाधान नहीं निकला.

इसके बाद इन दोनों परिवारों ने निराश होकर हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया. याचिका में दोनों परिवारों का कहना है कि धर्म परिवर्तन के ‘गुनाह’ के कारण उनका सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया है. इससे उन्हें कई तरह की गंभीर मुश्किलों का सामना करना पड़ा रहा है.

See also  आदिवासी एकता से ही अधिकारों की रक्षा संभव: प्रद्योत किशोर माणिक्य

अगले महीने पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इन राज्यों में मध्य प्रदेश, मिज़ोरम, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना शामिल है. इन सभी राज्यों में आदिवासी आबादी बड़ी संख्या में रहती है.

यहां पर चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी सीधे तौर पर धर्म परिवर्तन के मामले को आदिवासी इलाकों में नहीं उठा रही है. लेकिन संघ परिवार के उसके मित्र संगठन इस मुद्दे को लगातार सुर्खियों में बनाए रखने की कोशिश है. दरअसल बीजेपी या संघ परिवार के लिए यह मुद्दा चुनाव तक ही सीमित नहीं है, यह उनकी बड़ी योजना का हिस्सा है.

महाराष्ट्र: नासिक में आदिवासियों ने दूसरा धर्म अपनाने वालों को एसटी सूची से हटाने की मांग की

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

10 most Expensive cities in the World धरती आबा बिरसा मुंडा के कथन