Nobel Prize: केमिस्ट्री के लिए नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले भारतीय मूल के वैज्ञानिक, राइबोसोम पर रिसर्च ने दिलाया सम्मान

भारत में अब तक कई लोगों को अलग-अलग क्षेत्रों में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. भारत को केमिस्ट्री के क्षेत्र में पहला नोबेल साल 2009 में मिला, जब रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने “राइबोसोम की संरचना और कार्य के अध्ययन के लिए” वेंकटरमन रामकृष्णन, थॉमस ए. स्टिट्ज़ और एडा ई. योनाथ…

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देश के इन तीन पेड़ो को सरकारी साजिश के तहत बंद कराया गया

पिछले 70 सालों में पीपल, बरगद और नीम के पेडों को सरकारी स्तर पर लगाना साजिश के तहत बन्द किया गया है… ये तीनो पेड़ सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देते हैं.. और पीपल कार्बन डाई ऑक्साइड का 100% एबजार्बर है, बरगद 80% और नीम 75% अब सरकार ने इन पेड़ों से दूरी बना ली तथा इसके…

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कौन है खाटू श्याम बाबा, जानिए उनकी कहानी…

राजस्थान के सीकर जिले में श्री खाटू श्याम जी का सुप्रसिद्ध मंदिर है. वैसे तो खाटू श्याम बाबा के भक्तों की कोई गिनती नहीं लेकिन इनमें खासकर वैश्य, मारवाड़ी जैसे व्यवसायी वर्ग अधिक संख्या में है. श्याम बाबा कौन थे, उनके जन्म और जीवन चरित्र के बारे में जानते हैं इस लेख में खाटू श्याम…

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पारम्परिक “गोमहा पूनी (परब)” के पीछे का दर्शन

गणेश माँझी गोम्हा पूनी यानि सावन के महीने का आखिरी और पूर्णिमा का दिन. गोमहा पूनी तक रोपा-रोपने के बाद फसल खेतों में लगभग बढ़ने वाले स्थिति में होते हैं, हालाँकि अब धीरे-धीरे ये प्रक्रिया धीमी हो चुकी है, शायद जलवायु परिवर्तन, समय से बारिश का न होना एक वजह हो सकता है. बचपन से…

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स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में झंडा फहराने में क्या अंतर है ?

पहला अंतर 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झंडे को नीचे से रस्सी द्वारा खींच कर ऊपर ले जाया जाता है, फिर खोल कर फहराया जाता है, जिसे ध्वजारोहण कहा जाता है क्योंकि यह 15 अगस्त 1947 की ऐतिहासिक घटना को सम्मान देने हेतु किया जाता है जब प्रधानमंत्री जी ने ऐसा किया था।…

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दुनियां का सबसे खतरनाक ट्रैक, जिसकी चढ़ाई 90 डिग्री तक है

|| हरिहरकिला नासिक || देश के इस किले तक पहुंचने के लिए गुजरना पड़ता है दुनिया के सबसे खतरनाक ट्रैक से… कई जगह चढ़ाई 90 डिग्री तक है।… देश के कई ऐतिहासिक किले से आपका परिचय हुआ होगा और उनकी कलात्‍मकता देख आप आश्‍चर्यचकित रह गए होंगे। मगर आपके लिए इस किले का सफर जितना…

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मुश्किल समय में धैर्य न खोने की सीख

एक बार एक व्यक्ति दिन भर मजदूरी करके पैसे कमाने के पश्चात अपने घर की तरफ जा रहा था। सर्दियों के दिन थे और शाम ढल चुकी थी। सर्दी से बचाव के लिए उसने चादर ओढ़ रखी थी। उसके इलाके में डाकूओं का बहुत प्रकोप था। अक्सर डाकू लोगों से उन का धन और कीमती…

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आदिवासियों का धर्मांतरणः इंदिरा, मोदी, RSS, ईसाई मिशनरियों का रुख और डिलिस्टिंग की मांग का क्या है कनेक्शन?

यह धर्मांतरण का मुद्दा ऐसा रहा है जिसपर हिन्दू और ईसाई समुदाय के अगुआ तो बोलते रहे, लेकिन आदिवासी समाज के अंदर से इसके खिलाफ कभी संगठित आवाज नहीं निकली. जब कभी प्रयास हुए भी, उसको राजनैतिक तौर पर विफल कर दिया गया. हालांकि एक बार फिर यह मांग देश के कुछ आदिवासी बहुल राज्यों…

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बिरसा आंदोलन के 125 साल बाद आदिवासियों के लिए क्या बदला?

बिरसा मुंडा: कल आज और कल-1 कृति मुण्डा नाम है उसका, घर के चौथे मंजिल में लगभग बंद सी रहती है. दिन में शायद ही कभी निकलती है. सबसे खास बात है उसे निकलने नहीं दिया जाता है. अब उसे आदत सी हो गयी है कि अब उसे निकलने की जरुरत भी नहीं पड़ती है….

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यहां के आदिवासी बनाते हैं जीवित पुल, जो वर्ल्‍ड हेरिटेज साइट्स में है शामिल

भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्रों जीवित पेड़ों के जड़ों से पुल बनाया जाता है. जिंदा पेड़ों की जड़ों से बने ब्रिज बेहद ही खास है. इसे दुनिया का सबसे मजबूत पुल माना जाता है. दरअसल, भारत के पूर्वोत्‍तर राज्‍य मेघालय में बने इस पुल के सामने दुनिया के कई ब्रिज आपको फीके लगने लगेंगे.करीब दो सौ…

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10 most Expensive cities in the World धरती आबा बिरसा मुंडा के कथन