कुछ कविताएं सत्र में साहित्यकार जैरी पिंटो, नेशनल अवार्ड प्राप्त गीतकार स्वानंद किरकिरे और युवा कवयित्री डॉ पार्वती तिर्की शामिल हुए।
टाटा स्टील द्वारा रांची स्थित आड्रे हाउस में आयोजित झारखंड लिटरेरी मीट में आदिवासी कवयित्री डॉ पार्वती तिर्की की पहली कविता संग्रह “फिर उगना” से रोपा के बाद.. कविता को सुनकर तालियों की गड़गड़ाहट होने लगी. कविता के अंश..
“नदियों में नृत्य का रस घोलते,
कार्तिक महीने तक धरती पर घुम-घुम कर नाचे
आओ संगी हम थोड़ा नाच लेते हैं,
ताकि हमारे चुल्हों पर धान के सीझने से पहले,
धरती अपने गर्भ में फसलों को खुब अच्छे से पका ले।“
डॉ पार्वती तिर्की ने रोपा के बाद के अलावा बांडा जेठ की बारिश.., मघा और रसवां घर कविता का पाठ किया.
डॉ पार्वती तिर्की झारखंड की युवा कवयित्री और कहानीकार है. पार्वती वर्तमान में राम लखन सिंह यादव कॉलेज, रांची में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर कार्यरत है। उनकी कहानियां “गिदनी” और सिंगरेली वगार्थ पत्रिका में प्रकाशित हुई हैं. इसके अलावा उनकी कविताएं हिंदवी, “सदानीरा”, इंद्रधनुष, समकालिन जनमत और प्रगतिशील हक समेत कई आनलाइन पॉर्टलों के साथ-साथ कई पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हुई हैं, साल 2023 की शुरूआत में राजकमल प्रकाशन ने पार्वती की पहली कविता संग्रह, “फिर उगना” प्रकाशित किया है.
कुछ कविताएं सत्र में साहित्यकार जैरी पिंटो ने मुक्ता बाई की मराठी कविता के अलावा तुकाराम की दो मराठी कविता अहमा घड़ी धन शब्दांची रतने और मन करा रे प्रसन्न का पाठ किया. वहीं राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित गीतकार स्वानंद किरकिरे ने पाकिस्तानी कवि इब्ने इंशा की कविता चांद को उतरते देखा हमने और यह बच्चा किसका है… पाठ कर तालिया बटोरी.