पार्वती तिर्की को मिला साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार, आदिवासी चेतना और प्रकृति को कविता में दी पहचान

रांची | 18 जून 2025
प्रसिद्ध आदिवासी कवयित्री और हिंदी साहित्य की युवा आवाज़ पार्वती तिर्की को 2025 का साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार प्रदान किया गया है। यह सम्मान उन्हें उनके पहले काव्य संग्रह ‘फिर उगना’ के लिए दिया गया है, जो वर्ष 2023 में राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित हुआ था। साहित्य अकादमी द्वारा बुधवार को इस पुरस्कार की घोषणा की गई।

कविता की उस पुरानी परंपरा को पार्वती ने अपनी लेखनी से नया आयाम दिया है, जिसमें प्रकृति, पुरखों की स्मृति और आदिवासी जीवन के संघर्षों का सजीव चित्रण है। उनके संग्रह की एक पंक्ति – “पुरखे गोत्र उत्पत्ति की कई कहानियां सुनाते हैं— हे भई! तुम क्यों मेरा रास्ता रोकते? मैं तुम्हारा ही भाई हूं…” – जंगल में बाघ और मनुष्य के संवाद के माध्यम से आदिवासी दर्शन और सह-अस्तित्व की गहराई को दर्शाती है।

पार्वती तिर्की, जो वर्तमान में रामलखन सिंह यादव कॉलेज, रांची विश्वविद्यालय में हिंदी की अध्यापक हैं, को पुरस्कार स्वरूप ₹50,000 की नकद राशि और उत्कीर्ण ताम्रपत्र प्रदान किया जाएगा। साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार भारत के 24 भाषाओं के अंतर्गत 35 वर्ष से कम उम्र के लेखकों को उनकी विशिष्ट साहित्यिक रचनाओं के लिए दिया जाता है।

See also  क्या है सरना धर्म?

गुमला, झारखंड में 16 जनवरी 1994 को जन्मी पार्वती की शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय, गुमला से शुरू हुई। इसके बाद उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से हिंदी में स्नातक, स्नातकोत्तर और ‘कुड़ुख आदिवासी गीत : जीवन राग और जीवन संघर्ष’ विषय पर पीएच.डी. पूरी की। उनकी कविताएं और कहानियां ‘तद्भव, कथादेश, समकालीन जनमत, सदानीरा, इंद्रधनुष, हिंदवी’, आदि पत्रिकाओं व वेब पोर्टलों पर प्रकाशित होती रही हैं। उनकी रचनाओं का ओड़िया, मराठी और अंग्रेज़ी भाषाओं में भी अनुवाद हुआ है।

पुरस्कार की दौड़ में कुल आठ हिंदी पुस्तकों को नामित किया गया था, जिनमें सौरभ जैन, विहाग वैभव, अदनान कफील दरवेश, शिव मोहन सिंह, प्रकृति करगेती, आकृति विज्ञा अर्पण और सांत्वना श्रीकांत जैसे युवा लेखक शामिल थे। इन सभी में से पार्वती की ‘फिर उगना’ को चुना गया।

इससे पूर्व उन्हें प्रलेक नवलेखन सम्मान (2023) और विष्णु खरे युवा कविता सम्मान (2025) भी मिल चुका है। इस सम्मान पर अपनी प्रतिक्रिया में पार्वती तिर्की ने कहा, “यह पुरस्कार संवाद का सम्मान है। मेरी कविताएं आदिवासी प्रकृति और संस्कृति की बात करती हैं। इसका सम्मान आदिवासी समुदाय के आत्मविश्वास को नई ऊर्जा देता है।”

See also  छत्तीसगढ़ चुनाव: कांग्रेस, भाजपा दोनों ने छत्तीसगढ़ के आदिवासियों को दिया धोखा: अरविंद नेताम

‘फिर उगना’, केवल एक कविता संग्रह नहीं, बल्कि यह आदिवासी जीवनदर्शन, प्रकृति, पुरखों की स्मृति और संघर्षों का मौलिक काव्य दस्तावेज़ है, जो हिंदी साहित्य को एक नया नैतिक-सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य देता है।


रिपोर्ट: firstpeople.in न्यूज़ डेस्क
संपर्क: mail@firstpeople.in | इंस्टाग्राम/ट्विटर: @ivijayoraon

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

10 most Expensive cities in the World धरती आबा बिरसा मुंडा के कथन