संसद में हंगामा: चोट, आरोप और राजनीतिक उथल-पुथल

गुरुवार, 19 दिसंबर 2024 को संसद भवन के गेट पर एक बड़ी झड़प ने भाजपा के तीन प्रमुख सांसदों – प्रताप चंद्र सारंगी, मुकेश राजपूत और फांगन कोन्याक – को राष्ट्रीय ध्यान का केंद्र बना दिया। इस घटना में एनडीए और विपक्षी कांग्रेस पार्टी के सांसदों के बीच तीखी नोकझोंक और धक्का-मुक्की हुई। घटना में दो भाजपा सांसद घायल हो गए, जबकि कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर अनुचित व्यवहार का आरोप लगा, जिसने संसदीय मर्यादा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।

मुख्य व्यक्ति

प्रताप चंद्र सारंगी (पी.सी. सारंगी)

ओडिशा के “संत राजनेता” के रूप में प्रसिद्ध, प्रताप चंद्र सारंगी भाजपा के बालासोर संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं। सारंगी अपने सादगीपूर्ण जीवनशैली के लिए जाने जाते हैं, जो एक साधारण झोपड़ी में रहते हैं। राजनीति में आने से पहले उन्होंने आदिवासी बच्चों के लिए स्कूल चलाकर समाज सेवा की। सारंगी पूर्व में पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन राज्य मंत्री भी रह चुके हैं।

See also  मध्यप्रदेश चुनाव: एक आदिवासी को हराने गलियों में भटक रहे 'महाराजा-महारानी'

झड़प के दौरान सारंगी के सिर में चोट लग गई, जिसके चलते उन्हें दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में आईसीयू में भर्ती कराया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सारंगी को व्यक्तिगत रूप से फोन कर उनकी सेहत के बारे में जानकारी ली और चिंता व्यक्त की।

मुकेश राजपूत

मुकेश राजपूत उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद संसदीय क्षेत्र से भाजपा सांसद हैं। तीन बार के सांसद राजपूत ग्रामीण विकास और किसानों के कल्याण जैसे मुद्दों पर जोर देने के लिए जाने जाते हैं।

झड़प में राजपूत को भी चोटें आईं। हालांकि उनकी स्थिति सारंगी जैसी गंभीर नहीं थी, लेकिन उन्हें चिकित्सा सहायता लेनी पड़ी। प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें भी फोन कर उनका हालचाल पूछा, जिससे इस घटना की गंभीरता स्पष्ट होती है।

फांगन कोन्याक

फांगन कोन्याक नागालैंड से राज्यसभा सांसद हैं और इस पद पर पहुंचने वाली अपने राज्य की पहली महिला हैं। भाजपा का प्रतिनिधित्व करने वाली कोन्याक उत्तर-पूर्व में महिलाओं के सशक्तिकरण और आदिवासी अधिकारों की प्रतीक बन चुकी हैं।

See also  एक उम्मीदवार, कई निर्वाचन क्षेत्र: 'वन नेशन, वन पोल'

कोन्याक ने आरोप लगाया कि झड़प के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उनके प्रति आक्रामक व्यवहार किया, जिससे वह असहज महसूस कर रही थीं। “राहुल गांधी बहुत करीब आ गए और चिल्लाने लगे। उनका व्यवहार विपक्ष के नेता के लिए अनुचित था,” उन्होंने कहा। भाजपा ने कोन्याक के समर्थन में इसे व्यक्तिगत उत्पीड़न का मामला बताते हुए कड़ी निंदा की।

घटना: आरोपों की जंग

झड़प तब शुरू हुई जब दोनों पक्षों के सांसद एक विरोध प्रदर्शन के दौरान अपनी मौजूदगी दिखाने के लिए जोर-आजमाइश कर रहे थे। जहां कांग्रेस ने भाजपा पर झगड़ा भड़काने का आरोप लगाया, वहीं सत्तारूढ़ पार्टी ने विपक्षी सांसदों को इस घटना का जिम्मेदार ठहराया।

सारंगी और राजपूत की शारीरिक चोटों और कोन्याक के आरोपों ने दोनों पार्टियों के बीच तनाव और बढ़ा दिया है। भाजपा नेताओं ने घटना की जांच की मांग की है, जबकि कांग्रेस ने इन आरोपों को ध्यान भटकाने की रणनीति करार दिया है।

See also  बसपा से आकाश आनंद की बेदखली: मायावती की सख्ती या पार्टी अनुशासन की मजबूरी?

राजनीतिक परिणाम

इस घटना ने राजनीतिक माहौल को और अधिक ध्रुवीकृत कर दिया है। भाजपा समर्थकों ने कांग्रेस की आलोचना करते हुए सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जताई, जबकि कांग्रेस नेताओं ने इसे सरकार की विफलताओं से ध्यान हटाने का प्रयास बताया।

यह झड़प भारत में बढ़ते राजनीतिक संघर्षों की गंभीरता को उजागर करती है और सांसदों के आचरण और जवाबदेही पर सवाल खड़े करती है।

प्रताप चंद्र सारंगी, मुकेश राजपूत और फांगन कोन्याक जैसे प्रमुख नेताओं की इस घटना में भूमिका ने इसे और अधिक मानवीय बना दिया है। उनकी चोटें और आरोप इस बात का स्पष्ट संकेत हैं कि राजनीतिक संघर्षों में शारीरिक और मानसिक जोखिम कितने गहरे हो सकते हैं। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, यह घटना राजनीतिक विमर्श का प्रमुख विषय बनी रहेगी और भारत के गहराते राजनीतिक ध्रुवीकरण को दर्शाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

10 most Expensive cities in the World धरती आबा बिरसा मुंडा के कथन