मृ त्यु के पश्चात मनुष्य के साथ मनुष्य की पाँच वस्तुएँ साथ जाती हैं…
- कामना – यदि मृ त्यु के समय हमारे मन मे किसी वस्तु विशेष के प्रति कोई आसक्ति शेष रह जाती है ।कोई इक्षा अधूरी रह जाती है।कोई अपूर्ण कामना रह जाती है।तो म रणोपरांत भी वही कामना उस जीवात्मा के साथ जाती है।
- वासना – वासना कामना की ही साथी है। वासना का अर्थ केवल शारिरिक भोग से नही अपितु इस संसार मे भोगे हुए हर उस सुख से है ।जो उस जीवात्मा को आनन्दित करता है। फिर वो घर हो ,पैसा हो ,गाड़ी हो, रूतबा हो,या शौर्य। मृ त्यु के बाद भी ये अधूरी वासनाएं मनुष्य के साथ ही जाती हैं।और मोक्ष प्राप्ति में बाधक होती है।
- कर्म – मृ त्यु के बाद हमारे द्वारा किये गए कर्म चाहे वो सुकर्म हो अथवा कुकर्म हमारे साथ ही जाता है। मरणोपरांत जीवात्मा अपने द्वारा किये गए कर्मो की पूँजी भी साथ ले जाता है। जिस के हिसाब किताब द्वारा उस जीवात्मा का यानी हमारा अगला जन्म निर्धारित किया जाता है।
- कर्ज़ – यदि मनुष्य ने हमने -आपने जीवन मे कभी भी किसी प्रकार का ऋण लिया हो।तो उस ऋण को यथासम्भव उतार देना चाहिए। ताकि म रणोपरांत इसलोक से उस ऋण को उसलोक में अपने साथ न ले जाना पड़े।
- पूण्य – हमारे द्वारा किये गए दान-दक्षिणा व परमार्थ के कार्य ही हमारे पुण्यों की पूंजी होती है। इसलिए हमें समय-समय पर अपने सामर्थ्य अनुसार दान-दक्षिणा एवं परमार्थ और परोपकार आवश्य ही करने चाहिए।
इन्ही पांचों वस्तुओं से ही मनुष्य को इस मृ त्युलोक को छोड़ कर परलोक जाने पर..उस लोक अथवा अगले जन्म की प्रक्रिया का चयन किया जाता है.