चमत्कार’ नहीं, आदिवासी जीवन की ‘सहजीविता’ है

लगभग 40 दिन पहले कोलंबिया के घने जंगल (अमेजन के जंगल) में एक छोटा विमान क्रैश हो गया था। इस दुर्घटना में सभी वयस्क मारे गए थे और चार बच्चे लापता हो गए थे। लापता बच्चों की उम्र 14 साल, 9 साल, 7 साल और 1 साल थी। अनुमान लगाया जा रहा था कि ये बच्चे भी न बचे हों। लेकिन 40 दिन बाद इन बच्चों को खोज निकाला गया, ये बच्चे जीवित थे।

मेनस्ट्रीम मीडिया इसे ‘चमत्कार’ बता रहा है। सबके लिए हैरानी की बात है कि अमेजन के घने जंगल में जहाँ मनुष्य की आबादी भी पहुँच के बाहर है, जहाँ हिंसक जानवरों, अनाकोंडा जैसे साँपों का डर है वहाँ ये बच्चे कैसे जीवित बच निकले जबकि उनके पास खाने की चीजें भी नहीं थी।

रोचक बात यह है कि ये चारों बच्चे आदिवासी बच्चे हैं। ये बच्चे ह्यूटोटो आदिवासी समुदाय के हैं। यह अमेजन का स्थानीय आदिवासी समुदाय है।

यह अब बहस का मुद्दा भी बन गया है कि 40 दिनों तक ये नाबालिग बच्चे अकेले निर्जन जंगल में कैसे जीवित रह गए? इन बच्चों की खोज में सेना को लगाया गया था और सेना ने आदिवासी समुदायों की मदद ली।

See also  उत्तर प्रदेश: आदिवासी युवती से छेड़छाड़, विरोध करने पर खौलते तेल में धकेला

आदिवासी समुदायों ने पूरी जिम्मेदारी के साथ खोज अभियान में साथ दिया। इसमें आदिवासी समुदायों का कहना है कि जंगल माँ ने ही इन बच्चों की रक्षा की है। उनका मानना है कि अगर आप जंगल को सम्मान के साथ देखते हैं तो वह आपकी रक्षा ही करती है। जंगल कदम-कदम पर जीने का संकेत देती है।

जंगल जीने की जरूरी चीजें खुद ही उपलब्ध कराता है। माना जा रहा है कि इन आदिवासी बच्चों के पास आदिवासी ज्ञान परंपरा और बुद्धिमता थी। उसी ज्ञान और बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए नाबालिग बच्चों ने घनघोर और निर्जन जंगल में अपनी जान बचाई।

आदिवासी विशेषज्ञों का कहना है कि ये बच्चे जंगल में खो नहीं गए थे बल्कि वे अपने ही प्राकृतिक वातावरण में थे। जंगल ही उनकी देखभाल कर रहा था और उनके पास उनके पूर्वजों की बुद्धिमता थी।

अमेजन के आदिवासी समाज के जानकारों का कहना है कि जिस दुनिया में हर रोज हर चीज बेची जा रही हो उस दुनिया के लिए इसे समझना मुश्किल है । इस घटना के बाद अब इसे समझना और अधिक जरूरी हो गया है।

See also  खरसावां गोलीकांड: आजाद भारत का जालियांवाला बाग, जब 50,000 आदिवासियों पर बरसी गोलियां

इस घटना को मेनस्ट्रीम की मीडिया ‘चमत्कार’ की तरह प्रस्तुत कर रहा है। आदिवासी समाज और उसके जानकर मीडिया के इस तरह के प्रसारण का खण्डन कर रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

10 most Expensive cities in the World धरती आबा बिरसा मुंडा के कथन