भारत ने “ग्रेटर बांग्लादेश” टिप्पणी पर जताया कड़ा विरोध

भारत ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के सलाहकार महफूज आलम की विवादित टिप्पणी पर कड़ा राजनयिक विरोध दर्ज कराया है। आलम ने कहा था कि पश्चिम बंगाल, असम और त्रिपुरा जैसे क्षेत्र “ग्रेटर बांग्लादेश” का हिस्सा हैं, जिससे भारत में व्यापक नाराजगी फैल गई है।

ग्रेटर बांग्लादेश क्या है?

“ग्रेटर बांग्लादेश” एक विवादास्पद और काल्पनिक विचार है, जिसमें यह दावा किया जाता है कि बांग्लादेश के पड़ोसी क्षेत्रों (जो सांस्कृतिक, भाषाई या ऐतिहासिक रूप से उससे जुड़े हैं) को बांग्लादेश का हिस्सा होना चाहिए। इनमें भारत के पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा और म्यांमार के कुछ क्षेत्र शामिल हैं। हालांकि इस विचार को बांग्लादेश सरकार का औपचारिक समर्थन नहीं है, यह समय-समय पर कुछ राष्ट्रवादी समूहों द्वारा उठाया जाता रहा है।

क्या यह बांग्लादेश के लिए बड़ी गलती है?

महफूज आलम की यह टिप्पणी एक बड़ी राजनयिक भूल के रूप में देखी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे बांग्लादेश की अपने पड़ोसियों के साथ मधुर संबंध बनाए रखने के प्रयासों को नुकसान पहुंचेगा, खासकर भारत के साथ, जो उसका महत्वपूर्ण आर्थिक और रणनीतिक सहयोगी है।

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भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस टिप्पणी की कड़ी निंदा करते हुए इसे “गैर-जिम्मेदाराना” और “द्विपक्षीय संबंधों के लिए हानिकारक” बताया। मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जयसवाल ने कहा, “इस तरह के आधारहीन दावे क्षेत्रीय स्थिरता और संप्रभु देशों के बीच आपसी सम्मान को खतरे में डालते हैं।”

व्यापक प्रभाव

इस टिप्पणी का समय भी विवाद को बढ़ा रहा है। दोनों देशों के बीच पहले से ही अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ बांग्लादेश में हुई घटनाओं और सीमा सुरक्षा चिंताओं को लेकर तनाव है। आलम की टिप्पणी ने क्षेत्रीय अविश्वास को बढ़ाने और दोनों देशों में कट्टर राष्ट्रवादी आंदोलनों को प्रोत्साहित करने का डर पैदा कर दिया है।

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस तरह की टिप्पणियां बांग्लादेश की वैश्विक छवि को खराब कर सकती हैं और उसके राजनयिक संबंधों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। हालांकि बांग्लादेश सरकार ने अभी तक इस पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन चुप्पी को मौन स्वीकृति के रूप में देखा जा सकता है, जिससे भारत के साथ तनाव और बढ़ सकता है।

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भारत का रुख

भारत ने बांग्लादेश के साथ मजबूत संबंध बनाए रखने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है, लेकिन जिम्मेदार संवाद की आवश्यकता पर जोर दिया है। जयसवाल ने कहा, “इस तरह की टिप्पणियां न केवल सद्भाव को बाधित करती हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मूलभूत सिद्धांतों को भी चुनौती देती हैं।”

“ग्रेटर बांग्लादेश” पर उठा विवाद इस बात की कड़ी याद दिलाता है कि क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए कूटनीति और सावधानीपूर्वक बयानबाजी कितनी महत्वपूर्ण है। आगे चलकर, बांग्लादेश के लिए इस मुद्दे को स्पष्ट करना महत्वपूर्ण होगा ताकि भारत के साथ उसके संबंधों को बचाया जा सके और अनावश्यक राजनीतिक विवादों से बचा जा सके।

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