वासेपुर और मिर्जापुर के बाहर झारखंड, यूपी और बिहार में स्टीरियोटाइप से कैसे निकल पायेंगे

हिंदी सिनेमा (Bollywood) के कलाकारों और लेखकों को आदिवासियों से संबंधित लोगों से जानकारी रखने वालों से बातचीत करके अपनी फिल्म की कहानी कहनी चाहिए. उक्त बातें 9 दिसंबर को झारखंड के फिल्म निर्देशक निरंजन कुमार कुजुर ने टाटा स्टील द्वारा आयोजित झारखंड लिटरेरी मीट में कही. वे वासेपुर और मिर्जापुर के बाहर झारखंड, यूपी और बिहार में स्टीरियोटाइप से कैसे निकल पायेंगे कार्यक्रम पर बातचीत कर रहे थे. निर्देशक निरंजन कुजूर के साथ में संथाली फिल्म निर्देशक सेराल मुर्मू भी शामिल थे.

निरंजन कुजूर ने आगे कहा कि स्थानीय कलाकार अगर उक्त फिल्म में काम कर रहे हैं और फिल्म को सही दिशा में नहीं रखा जा रहा है तो स्थानीय कलाकारों का काम है कि उस क्षेत्र का सही पक्ष रखे. दरअसल, यह बात कुजूर ने हाल ही में मनोज बाजपेयी अभिनीत फिल्म जोरम पर पूछे गए सवाल पर कही.

एक वेब सीरीज का जिक्र करते हुए निरंजन कुजूर ने कहा कि झारखंड के संथाल बहुल क्षेत्र पर आधारित एक वेब सीरीज में उन समुदायों के जिक्र तक नहीं किया गया। संथाल क्षेत्र को उनके बिना कैसे कल्पना की जा सकती है। दरअसल निरंजन कुजूर आदिवासियों को उनके ही क्षेत्र में अनदेखा करने या गलत तरीके से चित्रण करने को लेकर बात कर रहे थे।

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उन्होंने आगे कहा कि कई ऐसी फिल्में बनायी जाती है, जिसमें हिंसा और गाली गलौज का चित्रण किया जाता है। जिन्हें उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड पृष्ठभूमि के तौर पर पेश किया जाता है। लेकिन वहीं पर उत्तर प्रदेश की ब्रज, अवधी, बिहार की अंगिका, बज्जिका, मैथिली और झारखंड की कुड़ुख, संथाली भाषाओं को शामिल करना तो दूर इनका जिक्र भी नहीं किया जाता।

संथाली सिनेमा निर्देशक सेराल मुर्मू ने कार्यक्रम में संथाली सिनेमा से संबंधित बातें रखी, मुर्मू ने इसके अलावा जात्रा और संथाली पहली फ़िल्म के बारे में बताया।

निरंजन कुजूर ने बताया कि कुड़ुख में बनी शार्ट फ़िल्म पहाड़ा को पहली बात अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक्सचेंज प्रोग्राम तौर पर प्रयोग किया गया। हालांकि इससे पहले भी कई फिल्में कुड़ुख भाषा पर बनाई जा चुकी है।

कौन है निरंजन कुमार कुजूर?
सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट (SRFTI), कोलकाता से सिनेमा स्नातक, निरंजन एक बहुभाषी फिल्म निर्देशक हैं. जिन्होंने कुडुख, संथाली, बंगाली, हिंदी और मंदारिन (चीनी भाषा) में फिल्में बनाई हैं.

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उनकी फिल्म एड़पा काना (गोइंग होम) ने 2016 में सर्वश्रेष्ठ ऑडियोग्राफी (गैर-फीचर) के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता .2015 में केरल (IDSFK) की, फिल्म प्रभाग द्वारा आयोजित मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (एमआईएफएफ) में आईडीपीए पुरस्कार और अंतर्राष्ट्रीय डॉक्यूमेंट्री और लघु फिल्म समारोह में विशेष जूरी मेंशन जीता. फिल्म ने उसी वर्ष बीजिंग फिल्म अकादमी, चीन में आयोजित ISFVF की यात्रा की.

पहाड़ा और एड़पा काना उनकी दो फिल्में हैं जिन्हें क्रमशः भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) के 44वें और 47वें संस्करण में भारतीय पैनोरमा (गैर-फीचर) के लिए चुना गया था. आदिवासी समाज में आदिवासी महिलाओं की दुर्दशा पर उनके संथाली वीडियो दीबी दुर्गा ने 2019 में बांग्लादेश और मलेशिया की यात्रा की.

जामताड़ा सीरिज को लेकर चर्चा में निरंजन
नेटफ्लिक्स श्रृंखला, जामतारा, ने उन्हें जामताड़ा शेड्यूल के लिए लाइन प्रोड्यूसर के रूप में रखा था. उन्होंने 2021-22 में प्रोडक्शन कंपनी ICE मीडिया लैब और एनालिटिक्स के साथ काम करते हुए डाबर, ITC और स्प्रिंगफिट जैसे ब्रांडों के लिए कई डिजिटल विज्ञापन फिल्मों का निर्देशन किया है.

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Haftix Films के साथ उनके अंतर्राष्ट्रीय सह-निर्माण आमिर को 39वें बुसान इंटरनेशनल शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल, साउथ कोरिया, 2022 में “हब ऑफ एशिया” सेक्शन के लिए चुना गया था. उनके नवीनतम निर्देशन TEERE BENDHO NA.. (UNANCHORED) 14वें IDSFK, 2022 को प्रतियोगिता में चुना गया था. निरंजन ने सितंबर 2022 में SRFTI के निर्देशन और पटकथा लेखन विभाग में सहायक प्रोफेसर (संविदात्मक) के रूप में सेवा भी पूरी कर ली है.

कौन है सेराल मुर्मू?

सेराल मुर्मू फ़िल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे में फिल्म निर्देशन और पटकथा लेखन में प्रशिक्षित हैं। उन्होंने Rawaah (2018), Sondhayni (2019) and Urus (2018) जैसी शार्ट फिल्मों में काम किया है।

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