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The Enigma of the Swastika: A Prehistoric Symbol Connecting Cultures Across Continents

The swastika, a symbol recognized globally today, possesses a history that extends back approximately 15,000 years. This emblem has been discovered on five continents, predating known interactions among ancient civilizations, and presents a compelling enigma in the study of human cultural development. Origins and Early Depictions Archaeological findings have unveiled swastikas etched into ancient structures’…

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बेणेश्वर धाम: आदिवासियों का कुंभ और आस्था का संगम

राजस्थान के डूंगरपुर जिले में स्थित बेणेश्वर धाम एक पवित्र तीर्थस्थल है, जिसे ‘बागड़ का पुष्कर’ और ‘आदिवासियों का कुंभ’ कहा जाता है। यह स्थल तीन नदियों—सोम, माही और जाखम—के संगम पर स्थित है, जिससे इसे आध्यात्मिक और प्राकृतिक दृष्टि से विशेष महत्त्व प्राप्त है। यहां का बेणेश्वर मेला भारत के प्रमुख आदिवासी मेलों में…

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संत रविदास के प्रसिद्ध विचार और उनका सामाजिक संदेश

संत रविदास 15वीं-16वीं शताब्दी के महान संत, कवि और समाज सुधारक थे। वे भक्ति आंदोलन के प्रमुख संतों में से एक थे और उन्होंने समाज में व्याप्त छुआछूत, जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। उनके विचार आज भी प्रेरणादायक हैं और मानवता के मूल्यों को सिखाते हैं। 1. मन की पवित्रता का महत्व संत…

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संत रविदास: समता और भक्ति का संदेश

संत रविदास भारतीय भक्ति आंदोलन के महान संत, कवि और समाज सुधारक थे। उन्होंने जाति, भेदभाव और छुआछूत के खिलाफ आवाज उठाई और प्रेम, समानता तथा भक्ति का संदेश दिया। हर साल माघ पूर्णिमा को उनकी जयंती मनाई जाती है, जो न केवल उनके अनुयायियों बल्कि समूचे समाज के लिए प्रेरणादायक होती है। संत रविदास…

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Brahmins in Sacred Texts: Evolution from Ritual Priests to Spiritual Seekers

The Brahmin, as a concept, has deep roots in Hindu sacred texts, spanning from the Vedas and Upanishads to the epics and Puranas. The term “Brahmin” (ब्राह्मण) originates from “Brahman,” which signifies the ultimate reality or the supreme cosmic principle in Hindu philosophy. However, in a socio-religious sense, Brahmins are traditionally considered the priestly and…

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गोत्र: परंपरा, विज्ञान और विवाह

गोत्र संस्कृत शब्द है, जिसका मूल अर्थ “गौ” (गाय) और “त्र” (रक्षा करने वाला) से लिया गया है, अर्थात् “गोत्र” का शाब्दिक अर्थ “गायों की रक्षा करने वाला” है। परंतु सामाजिक संदर्भ में, गोत्र किसी विशिष्ट ऋषि या पूर्वज से उत्पन्न एक पितृवंशीय समूह को दर्शाता है। प्राचीन वैदिक काल में गोत्र प्रणाली की शुरुआत…

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टुसु पर्व और मकर संक्रांति: विविधता में एकता का पर्व

भारत त्योहारों की भूमि है, जहाँ हर पर्व प्रकृति, संस्कृति और परंपराओं का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता है। मकर संक्रांति और इससे जुड़े पर्व, जैसे टुसु पर्व, भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से मनाए जाते हैं, लेकिन इनका मूल उद्देश्य एक ही है – प्रकृति के साथ सामंजस्य और समाज में समृद्धि की…

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10 most Expensive cities in the World धरती आबा बिरसा मुंडा के कथन