रांची जिला स्कूल मैदान में चल रहे राष्ट्रीय पुस्तक मेले में आज वीणा श्रीवास्तव के काव्य संग्रह चोंच भर बादल का लोकार्पण किया गया। यह कार्यक्रम शब्दकार साहित्यिक समूह और पुस्तक मेला समिति के संयुक्त प्रयास से आयोजित हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ अंशुमान द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुआ।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार श्री अशोक प्रियदर्शी ने कवयित्री वीणा श्रीवास्तव को बधाई देते हुए कहा, “उनकी कविताएँ गहराई और ऊँचाई दोनों को समेटे हुए हैं।”
साहित्यकार श्री शंभू बादल ने कहा, “वीणा श्रीवास्तव की कविताएँ पुरुष वर्चस्व, स्त्री उत्पीड़न और समाज में फैली लूट-खसोट के खिलाफ आवाज़ हैं।” उन्होंने उनकी कविता ‘याद रखना, मैं औरत हूँ, कैक्टस में फूल खिलाना जानती हूँ’ का पाठ भी किया।
डॉ. कमल बोस ने कहा, “बड़े काम के लिए धन नहीं, बल्कि दृढ़ मनोबल की आवश्यकता होती है। कविता यथार्थ की आत्मा है और कवि का पुरुषार्थ है।”
डॉ. बिनोद कुमार ने संग्रह की प्रशंसा करते हुए कहा, “चोंच भर बादल आज के समाज का आईना है, जिसमें आत्मबोध झलकता है।”
विशेष रूप से आमंत्रित डॉ. दिनेश कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम की शुरुआत में शब्दकार की अध्यक्ष रश्मि शर्मा ने सभी का स्वागत करते हुए कहा, “यह गर्व की बात है कि शब्दकार के सदस्यों की संख्या निरंतर बढ़ रही है और हमारा कारवाँ आगे बढ़ रहा है।”
कवयित्री वीणा श्रीवास्तव ने अपनी चौथी काव्य संग्रह के बारे में बताया कि इसका नामकरण आदरणीय नामवर जी द्वारा किया गया था।
कार्यक्रम का सफल संचालन सीमा चंद्रिका तिवारी ने किया।
इस अवसर पर शब्दकार की उपाध्यक्ष संगीता कुजारा टॉक, सदस्य जय माला और शहर के प्रबुद्ध साहित्यकारों जैसे कुमार विजेंद्र, पंकज मित्र, चंद्रिका तिवारी, राकेश रमन, पूनम आनंद, मयंक मुरारी, प्रणव प्रियदर्शी, सुमिता सिन्हा, मधुमिता साहा, कविता सिंह, चारूमित्रा, रेणु मिश्रा, अनुपम श्री, विजय श्रीवास्तव, और सोनू कृष्णन आदि उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के अंत में पुस्तक मेला के प्रबंधक एवं आयोजक श्री चंद्रभूषण सिन्हा ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
लेखक परिचय: वीणा श्रीवास्तव
शैक्षणिक पृष्ठभूमि और कृतियाँ
वीणा श्रीवास्तव हिंदी और अंग्रेजी में एम.ए. की शिक्षा प्राप्त एक प्रख्यात साहित्यकार हैं। उनकी प्रमुख कृतियाँ तुम और मैं, मचलते ख्वाब, और लड़कियाँ जैसे कविता संग्रह हैं। इसके अलावा, उन्होंने शब्द संवाद का संपादन किया है और अनुगूँज, खामोश, खामोशी और हम, ख्वाब ईसा हुए, और साँसे सुकरात जैसे साझा संकलनों में अपनी रचनाएँ दी हैं। वह हेरिटेज झारखंड की प्रतिष्ठित पत्रिका भोर की संपादक भी हैं।
सम्मान और पुरस्कार
वीणा श्रीवास्तव को प्रमोद वर्मा युवा सम्मान (इजिप्ट), साहित्य सरिता सम्मान (हंगरी), साहित्य सरोज और शिक्षा प्रेरक सम्मान, सुभद्रा कुमारी चौहान सम्मान, नारी गौरव सम्मान, शिक्षा-साहित्य सेवा सम्मान, और उत्कृष्ट कला सम्मान जैसे अनेक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
संगठन और भूमिकाएँ
वह साहित्यिक संगठनों में अपनी सक्रिय भागीदारी के लिए जानी जाती हैं। वह शब्दकार की अध्यक्ष, राष्ट्रीय कवि संगम (ग्रेटर रांची इकाई) की सचिव, हेरिटेज झारखंड की साहित्य सचिव, एकल अभियान और नारायणी साहित्य अकादमी की कार्यकारिणी सदस्य, और झारखंड हिंदी साहित्य संस्कृति मंच की आजीवन सदस्य हैं।
वर्तमान भूमिका
वर्तमान में, वीणा श्रीवास्तव झारखंड की प्रतिनिधि और पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की कार्यकारी पार्षद के रूप में कार्यरत हैं। उनका साहित्य और समाज सेवा को समर्पित जीवन नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।