एस. फांनोन कोन्याक, नागालैंड की पहली महिला राज्यसभा सांसद और अनुसूचित जनजाति समुदाय से आने वाली एक प्रभावशाली नेता हैं, जो हाल ही में एक विवाद के केंद्र में हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि संसद परिसर में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ हुई एक असहज घटना ने उनकी गरिमा और आत्मसम्मान को आहत किया।
यह घटना सिर्फ एक व्यक्तिगत अनुभव से जुड़ी नहीं है, बल्कि यह भारतीय राजनीति में महिलाओं, विशेषकर हाशिए पर रहने वाले समुदायों की महिलाओं, के साथ सम्मानजनक व्यवहार की आवश्यकता को उजागर करती है। एक ऐसे राज्य से, जहां महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी अब तक सीमित रही है, एस. फांनोन कोन्याक का राज्यसभा में चुना जाना ऐतिहासिक है। वह न केवल नागालैंड की, बल्कि पूरे देश की अनुसूचित जनजाति और महिलाओं के लिए एक प्रेरणा हैं।
यह घटना इस बात पर ध्यान केंद्रित करती है कि सार्वजनिक जीवन में महिलाओं के लिए एक सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल सुनिश्चित करना कितना महत्वपूर्ण है। एस. फांगनोन कोन्याक के मामले ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय बहस का हिस्सा बना दिया है, जो सभी समुदायों, विशेष रूप से आदिवासी और दूरस्थ क्षेत्रों से आने वाली महिलाओं के लिए राजनीतिक और सामाजिक समानता की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है।
कौन है एस. फांनोन कोन्याक
नागा जनजाति से संबंध रखने वाली एस. फांनोन कोन्याक का जन्म 5 फरवरी 1978 को नागालैंड के मोन जिले में हुआ था। एस. फांनोन कोन्याक ने भारतीय राजनीति में अपना एक अनूठा स्थान बनाया है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की और छात्र आंदोलन व सामाजिक सेवा में सक्रिय रहीं। मार्च 2022 में राज्यसभा के लिए उनका चयन नागालैंड की पहली महिला सांसद के रूप में एक ऐतिहासिक क्षण था। वह भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष भी हैं और महिलाओं को सशक्त बनाने और राजनीति में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए काम कर रही हैं।
हालिया विवाद
हाल ही में एस. फांनोन कोन्याक उस समय सुर्खियों में आईं, जब उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ हुई एक असहज बातचीत का आरोप लगाया। यह घटना संसद परिसर में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई। कोन्याक ने दावा किया कि राहुल गांधी उनके बहुत करीब आकर जोर से बोले, जिससे वह असहज और आहत महसूस करने लगीं।
कोन्याक ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से सुरक्षा की मांग करते हुए कहा कि संसद में परस्पर सम्मान और मर्यादा बनाए रखना आवश्यक है। इस घटना ने निर्वाचित प्रतिनिधियों के आचरण, खासतौर पर महिलाओं के प्रति व्यवहार, पर एक व्यापक बहस छेड़ दी है।
राष्ट्रीय सुर्खियों में
इस घटना ने एस. फांनोन कोन्याक को राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में ला दिया है। कई लोग उनकी साहस की सराहना कर रहे हैं। एक पुरुष प्रधान राजनीतिक परिदृश्य में, उनकी दृढ़ता इस बात का प्रतीक है कि महिलाओं को अपनी गरिमा और अधिकारों के लिए कितनी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
राजनीति से परे बाधाओं को तोड़ना
अपने राजनीतिक सफर के अलावा, कोन्याक ने जुलाई 2023 में राज्यसभा के उपाध्यक्षों के पैनल में शामिल होने वाली नागालैंड की पहली महिला बनकर एक और कीर्तिमान स्थापित किया। उनकी उपलब्धियां न केवल नागालैंड बल्कि पूरे भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र की महिलाओं के लिए प्रेरणा का प्रतीक हैं।
एस. फांनोन कोन्याक की यात्रा उनके दृढ़ संकल्प और साहस का प्रमाण है। हालिया घटनाओं ने उनकी चुनौतियों को उजागर किया है, लेकिन साथ ही यह भी दिखाया है कि वे गरिमा और सम्मान के लिए मजबूती से खड़ी रहती हैं। जैसे-जैसे उनका राजनीतिक करियर आगे बढ़ता है, कोन्याक न केवल नागालैंड बल्कि पूरे देश की महिलाओं के लिए सशक्तिकरण की प्रतीक बनी रहेंगी।