कैसी सामूहिक विवाह जिसमें शामिल सभी जोड़े पहले से शादीशुदा?

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में 16 दिसंबर को एक अनोखा सामूहिक विवाह समारोह आयोजित किया गया, जिसमें 61 ऐसे जोड़ों ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ शादी की, जो पहले से ही साथ रह रहे थे और जिनमें से अधिकांश के बच्चे भी थे। यह आयोजन मल्लारपुर में पुरबांचल कल्याण आश्रम द्वारा किया गया।

आर्थिक तंगी बनी बाधा

आयोजन में शामिल अधिकांश संथाल आदिवासी जोड़े आर्थिक कठिनाइयों के कारण पारंपरिक विवाह नहीं कर पाए थे। पुरबांचल कल्याण आश्रम के अधिकारी उत्तम महतो ने बताया कि जनजातीय समुदाय में ऐसे कई जोड़े होते हैं जो जीवनसाथी के रूप में साथ रहते हैं, लेकिन उनका विवाह पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार नहीं होता। इसके चलते समाज उन्हें मान्यता नहीं देता और वे भेदभाव का सामना करते हैं।

समाज की पहल

इस सामूहिक विवाह का आयोजन स्थानीय जोग माझी (गांव के पुजारी) ने करवाया। उन्होंने संबंधित जोड़ों का चयन किया, जिन्हें इस विवाह की सबसे अधिक आवश्यकता थी। समारोह के लिए बिरभूम जिले से 36 और मुर्शिदाबाद जिले से 25 जोड़ों को शामिल किया गया। प्रत्येक जोड़े पर लगभग ₹25,000 का खर्च आया, जो कोलकाता के तीन परिवारों ने वहन किया। इन परिवारों ने अपनी शादी की सालगिरह को यादगार बनाने के लिए इस आयोजन को प्रायोजित किया।

See also  जानिए कौन हैं झारखंडी टाइगर चम्पई सोरेन? हेमंत सोरेन से क्या है उनका खास रिश्ता?

सामाजिक मान्यता का उत्सव

विवाह समारोह से एक दिन पहले, हल्दी लगाने की रस्म (गाये हलुद) आयोजित की गई। इसके बाद पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ विवाह संपन्न हुआ। समारोह में करीब 6,000 लोगों को सामूहिक भोज के लिए आमंत्रित किया गया।

जोग माझी पॉल हांसदा ने कहा, “यह पहल इन जोड़ों को समाज में पहचान दिलाने में मदद करेगी। अब वे सम्मान के साथ अपने जीवन को आगे बढ़ा सकेंगे।”

प्रेरणादायक उदाहरण

कोलकाता के चार्टर्ड अकाउंटेंट विवेक चिरानिया ने बताया, “हमने अपनी 25वीं शादी की सालगिरह इस अनोखे तरीके से मनाई। आदिवासी भाइयों के साथ यह अनुभव अविस्मरणीय है।”

विश्व भारती विश्वविद्यालय के शिक्षक कल्याण हांसदा ने कहा, “यह एक सराहनीय प्रयास है। यह पहल आदिवासी समुदाय के जोड़ों को न केवल उनकी परंपराओं से जोड़ेगी, बल्कि उन्हें समाज में भेदभाव से भी बचाएगी।”

इस सामूहिक विवाह समारोह ने न केवल आर्थिक तंगी के कारण बाधित जीवन को नई शुरुआत दी, बल्कि समाज में आदिवासी परंपराओं को मान्यता और सम्मान भी दिलाया।

See also  छत्तीसगढ़ होगा 7वां राज्य, जहाँ का मुख्यमंत्री होगा आदिवासी और छत्तीसगढ़ का पहला

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

10 most Expensive cities in the World धरती आबा बिरसा मुंडा के कथन