रांची, दिसंबर 2024: झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार द्वारा शुरू की गई “मइँया सम्मान योजना” राज्य में चर्चा और विवाद का केंद्र बनी हुई है। इस योजना का उद्देश्य झारखंड की महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करना है, जिसके तहत प्रत्येक लाभुक को 2500 रुपये प्रति माह दिए जाएंगे। हालांकि, इस योजना को लागू करने के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन जुटाने के तरीकों ने राज्य सरकार को आलोचनाओं के घेरे में ला दिया है।
खनन से जुटाई जाएगी राशि
हाल ही में एक निजी चैनल पर झारखंड के वित्त मंत्री ने घोषणा की कि सरकार इस योजना के लिए 9000 से 15000 करोड़ रुपये की राशि जुटाने हेतु पहाड़ों और जंगलों में खनन पर निर्भर करेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि खनन पर टैक्स बढ़ाकर राजस्व में इजाफा किया जाएगा।
झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर का बयान
यह बयान ऐसे समय में आया है जब झारखंड की वर्तमान सरकार ने अपने चुनावी वादों में जल, जंगल और जमीन की सुरक्षा की बात की थी। पर्यावरण और आदिवासी अधिकारों की सुरक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता अब सवालों के घेरे में है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और आदिवासी मुद्दे
2014-2019 के दौरान भाजपा की रघुवर दास सरकार ने भी खनन और जमीन अधिग्रहण के मुद्दों पर विरोध का सामना किया था। पथलगड़ी आंदोलन और आदिवासी समुदाय के विरोधों ने रघुवर सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया। हेमंत सोरेन ने 2019 में सत्ता संभालने के बाद आदिवासी हितों और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देने का वादा किया था।
हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले हेमंत सोरेन को केंद्रीय एजेंसियों की जांच के कारण जेल जाना पड़ा। इस दौरान चंपई सोरेन ने कार्यवाहक मुख्यमंत्री की भूमिका निभाई और हेमंत सोरेन की पत्नी ने चुनाव प्रचार का मोर्चा संभाला।
योजना की आर्थिक चुनौतियां
दिसंबर 2024 में, “मइँया सम्मान योजना” के तहत राशि 1000 रुपये से बढ़ाकर 2500 रुपये प्रति माह कर दी गई। यह कदम लगभग 59 लाख लाभुकों को लाभ पहुंचाएगा, लेकिन इसके लिए सरकार को हर साल 17,700 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च वहन करना होगा। वर्तमान राजस्व के आधार पर यह राशि जुटाना सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है।
खनन से जुड़ी इस नीति का आदिवासी और पर्यावरणीय संगठनों ने कड़ा विरोध किया है। इन संगठनों का मानना है कि सरकार का यह कदम झारखंड के प्राकृतिक संसाधनों और आदिवासी अधिकारों के खिलाफ है।
भविष्य की राजनीति पर असर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि “मइँया सम्मान योजना” हेमंत सोरेन सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि भी हो सकती है और सबसे बड़ा संकट भी। अगर यह योजना सफल होती है, तो यह झारखंड में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी। लेकिन अगर खनन और राजस्व जुटाने के कारण आदिवासी समुदाय का विश्वास डगमगाता है, तो यह सरकार के लिए राजनीतिक मुश्किलें खड़ी कर सकता है।