झारखंड की राजनीतिक पटल पर एक बार फिर हेमंत सोरेन ने अपना परचम लहराया है। राज्य के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के साथ ही उन्होंने झारखंड को नई दिशा और नई ऊंचाई पर ले जाने का संकल्प लिया। उनकी “अबुआ सरकार” ने राज्य के सर्वांगीण विकास और आदिवासी-मूलवासी समुदायों की समृद्धि के लिए कई महत्वपूर्ण फैसलों की घोषणा की है।
हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड एक नए युग में प्रवेश कर रहा है। उनके प्रशासन का ध्यान केवल विकास की रफ्तार बढ़ाने पर नहीं, बल्कि जनता की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने पर भी केंद्रित है। शपथ ग्रहण के तुरंत बाद उन्होंने राज्य के लोगों के कल्याण के लिए 8 बड़े फैसले लिए, जिनमें मंईयां सम्मान योजना के तहत सहायता राशि बढ़ाकर 2500 रुपये किया जाएगा और सरकारी भर्तियों की प्रक्रिया को तेज करना शामिल है।
इसके अलावा राज्य में JPSC/JSSC के अंतर्गत होने वाली नियुक्ति प्रक्रिया को तेज किया जाएगा, वहीं असम में वर्षों से रह रहे झारखण्ड के आदिवासियों-मूलवासियों की स्थिति की जानकारी सर्वदलीय और पदाधिकारियों की टीम द्वारा ली जाएगी। वही झारखण्ड विधान सभा के माननीय सदस्यगण को शपथ या प्रतिज्ञान कराने के लिए प्रोटेम स्पीकर के रूप में प्रो० स्टीफन मरांडी को नियुक्त करने का निर्णय लिया गया।
हेमंत सोरेन ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी सरकार झारखंड के राजस्व में बढ़ोतरी के लिए नए रास्ते तलाशेगी और केंद्र सरकार से राज्य के बकाया 1.36 लाख करोड़ रुपये की वसूली सुनिश्चित करेगी। उनके फैसलों से झारखंड के आदिवासी और मूलवासी समुदायों को सशक्त बनाने का संकल्प झलकता है।
इस शपथ ग्रहण ने न केवल झारखंड में राजनीतिक स्थिरता की नई उम्मीद जगाई है, बल्कि सामाजिक न्याय और आर्थिक सुधार के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को भी स्पष्ट किया है। हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड के भविष्य को एक नई दिशा मिलने की उम्मीद है।