एलन मस्क, जो डोनाल्ड ट्रंप की अगली सरकार में मंत्री बनने की संभावनाओं के बीच चर्चा में हैं, ने हाल ही में H-1B वीजा पर बयान देकर हंगामा खड़ा कर दिया। मस्क ने कहा कि वे वीजा नीति में सुधार करेंगे ताकि अमेरिकी नागरिकों को रोजगार में प्राथमिकता दी जा सके। उनके इस बयान के बाद अमेरिका में राजनीतिक बहस तेज हो गई है।
सांसद का आरोप: हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा
जो बाइडेन की डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद श्री थानेदार ने आरोप लगाया कि H-1B वीजा पर चर्चा शुरू होने के बाद से ही हिंदुओं के खिलाफ नफरत भरे संदेश सोशल मीडिया पर तेजी से बढ़ गए हैं। उन्होंने इसे हिंदूफोबिया करार देते हुए कहा कि अमेरिकी लोगों के बीच हिंदुओं को लेकर नकारात्मक भावनाएं बढ़ रही हैं।
मस्क के सुझाव: वीजा नीति में बदलाव
एलन मस्क, जिन्हें भारतीय मूल के विवेक रामास्वामी के साथ ट्रंप सरकार में “डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी” का जिम्मा सौंपा जा सकता है, ने सोशल मीडिया पर एक टिप्पणी में H-1B वीजा को “टूटा हुआ” बताया। मस्क ने इसके सुधार के लिए दो अहम कदम सुझाए:
- न्यूनतम वेतन सीमा तय करना: ताकि विदेशी कर्मचारी सस्ते में काम न करें।
- वीजा पर सालाना खर्च लागू करना: जिससे नियोक्ता विदेशी कर्मचारियों को रखने से पहले स्थानीय नागरिकों को प्राथमिकता दें।
भारतीयों के खिलाफ गुस्सा क्यों?
मस्क के प्रस्तावों से संकेत मिलता है कि अमेरिका में रहना और काम करना पहले की तुलना में महंगा हो जाएगा। इससे H-1B वीजा धारकों, विशेषकर भारतीय मूल के पेशेवरों पर प्रभाव पड़ सकता है। अमेरिकी हिंदू समुदाय, जो आर्थिक रूप से समृद्ध माना जाता है, इस फैसले के केंद्र में है। सोशल मीडिया पर कई लोग वीजा सुधार के बहाने हिंदुओं के खिलाफ नफरत भरे संदेश साझा कर रहे हैं।
हिंदूफोबिया पर श्री थानेदार का बयान
सांसद श्री थानेदार ने अमेरिका में हिंदुओं के प्रति बढ़ती नफरत पर चिंता जताई। उन्होंने एक पोस्ट में कहा, “नस्लवाद अभी भी अमेरिका में मौजूद है और हमें इसके खिलाफ खड़ा होना होगा। H-1B वीजा से जुड़े हर पोस्ट में भारतीयों को निशाना बनाया जा रहा है। मैंने हिंदूफोबिया की निंदा करने और इसे रोकने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया था, जिसे दोनों दलों का समर्थन मिला।”
मस्क के बयान ने जहां अमेरिका में रोजगार नीति पर बहस छेड़ दी है, वहीं इस मुद्दे ने भारतीय समुदाय को भी गहराई से प्रभावित किया है।