मानगढ़ धाम, जो राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में स्थित है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण और वीरतापूर्ण घटना से जुड़ा हुआ है। यह स्थान 17 नवंबर 1913 को हुई एक बड़ी घटना के लिए प्रसिद्ध है, जिसे “मानगढ़ नरसंहार” के नाम से जाना जाता है।
मानगढ़ धाम का इतिहास:
- स्थान और समुदाय: मानगढ़ धाम राजस्थान और गुजरात की सीमा पर स्थित है। यह स्थान विशेष रूप से भील जनजाति के लोगों के लिए महत्वपूर्ण है।
- आंदोलन का कारण: 1913 में, ब्रिटिश सरकार द्वारा भील समुदाय पर अत्याचार किए जा रहे थे। उनके भूमि और अन्य अधिकारों का हनन हो रहा था। इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए गोविंद गुरु, एक समाज सुधारक और आध्यात्मिक नेता, ने भील समुदाय को संगठित किया।
- घटना: गोविंद गुरु के नेतृत्व में भील समुदाय ने मानगढ़ पर्वत पर इकट्ठा होकर अपने अधिकारों की मांग की। यह एक शांति पूर्वक विरोध था। लेकिन ब्रिटिश सरकार ने इसे विद्रोह के रूप में देखा और सैनिक भेजकर इस पर हमला कर दिया। इस हमले में सैकड़ों भील मारे गए।
- महत्व: मानगढ़ धाम अब एक शहीद स्मारक के रूप में जाना जाता है, जो उन वीर भीलों की याद में बनाया गया है जिन्होंने अपने अधिकारों और सम्मान के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
आज, मानगढ़ धाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह स्थान उन लोगों के साहस और बलिदान को श्रद्धांजलि देने के लिए लोगों द्वारा सम्मानित किया जाता है।