भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्रों जीवित पेड़ों के जड़ों से पुल बनाया जाता है. जिंदा पेड़ों की जड़ों से बने ब्रिज बेहद ही खास है. इसे दुनिया का सबसे मजबूत पुल माना जाता है. दरअसल, भारत के पूर्वोत्तर राज्य मेघालय में बने इस पुल के सामने दुनिया के कई ब्रिज आपको फीके लगने लगेंगे.
करीब दो सौ साल बनाया गया पुल आज भी जीवित अवस्था में है. यह जीवित पेड़ों की जड़ों सा बना अनोखा पुल आज भी उतनी ही मजबूती से टिका है, जितना बनाए जाने के दौर में था. ये पुल पेड़ों की जिंदा जड़ों को धागे की तरह आपस में बुनकर बनाया गया है.
किसने बनाया जिंदा जड़ों से पुल
मेघालय में सदियों से रह रही खासी और जयंतिया जनजाति के लोग जिंदा पेड़ों की जड़ों से पुल बनाने में माहिर माने जाते हैं. बताया जाता है कि खासी और जयंतिया जनजाति के लोगों ने ही लिविंग रूट ब्रिज को कई सौ साल पहले बनाया था. इस पुल पर एकसाथ 50 लोग तक चल सकते हैं. ये पुल मेघालय के घने जंगलों से गुजरने वाली नदी के ऊपर बनाया गया है.
कैसे कर लेता है अपनी मरम्मत
लिविंग रूट ब्रिज जिंदा पेड़ों की जड़ों से बना है. इसे धागे की तरह आपस में बुनकर बनाया जाता है. इसका कुछ हिस्सा लगातार पानी में रहने के कारण सड़ या गल जाता है तो उस जगह पर नई जड़ें आ जाती हैं. इसलिए ये पुल 200 साल बाद भी कहीं से कमजोर नहीं पड़ा है. इस पुल को रबर के पेड़ की जड़ों से बनाया है, जिन्हें फाइकस इलास्टिका ट्री कहा जाता है.
इन पुलों में कुछ जड़ों की लंबाई 100 फीट तक है. इन्हें सही आकार लेने में 15 साल तक का समय लग जाता है. जब ये जड़ें पूरी तरह से बढ़ जाती हैं तो 500 साल तक मजबूती से बनी रह सकती हैं
वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल
मेघालय में इस तरह के कई पुल हैं. इनमें चेरापूंजी का पेड़ों की जड़ों से बना डबल डेकर पुल सबसे खास है. इसमें एक के ऊपर एक दो पुल बनाए गए हैं. इन पुलों को यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल किया है. जिंदा पेड़ों की जिंदा जड़ों से बनाए गए ये पुल लोहे के पुलों से भी ज्यादा मजबूत माने जाते हैं. जहां लोहे या स्टील के पुलों को समय-समय पर मरम्मत की जरूरत पड़ती है. वहीं, ये पुल अपनी मरम्मत खुद ही कर लेते हैं. इन पुलों के निर्माण से जंगलों में रहने वाले लोगों को नदियों को पार करने में काफी आसानी हो जाती है.
पुल कैसे बना कमाई का जरिया
खासी और जयंतिया जनजाति समुदाय के लोग सदियों से इन पैदल पुलों को बनाने में जुटे हैं. इन लोगों के लिए अब ये पेड़ों की जिंदा जड़ों से बने खास पुल तगड़ी कमाई का जरिया भी बन गए हैं.
दरअसल, वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स में शामिल होने के बाद दुनियाभर से लोग इन्हें देखने के लिए मेघालय के जंगलों में पहुंचने लगे हैं. हालांकि, भारत के अलग-अलग प्रांतों से पहले भी पर्यटक इन पुलों को देखने के लिए पहुंचते थे. अब स्थानीय लोगों ने अपने घरों को होम स्टे में तब्दील करना शुरू कर दिया है. इससे यहां आने वाले लोगों को ठहरने का इंतजाम करने के झंझट से निजात मिल जाती है और स्थानीय लोगों को इसके एवज में अच्छी आमदनी हो जाती है.