संथाली लेखकों ने आदिवासी भाषा के संरक्षण और प्रचार की मांग की

अखिल भारतीय संथाली लेखक संघ (AISWA) ने संथाली भाषा को झारखंड और वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने की अपील की है। संघ के महासचिव रवींद्र नाथ मुर्मू ने बताया कि हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के रायरंगपुर दौरे के दौरान AISWA के प्रतिनिधिमंडल ने उनसे मुलाकात की और एक ज्ञापन सौंपा। इसमें संथाली भाषा के प्रचार और संरक्षण के लिए कई महत्वपूर्ण मांगें रखी गईं।

ज्ञापन में ओलचिकी लिपि का उपयोग करते हुए संथाली को भारतीय करेंसी नोटों में स्थान देने, भाषा के विकास के लिए राष्ट्रीय परिषद की स्थापना, और ओलचिकी लिपि के आविष्कारक पंडित रघुनाथ मुर्मू को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग की गई। साथ ही दिल्ली में पंडित रघुनाथ मुर्मू और सुनाराम सोरेन भवन बनाने का भी प्रस्ताव रखा गया।

राष्ट्रपति मुर्मू को 28-29 दिसंबर को जमशेदपुर के पास करनडीह में दिशोम जाहेर में आयोजित 37वें अंतरराष्ट्रीय संथाली लेखक सम्मेलन और साहित्य महोत्सव के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है।

See also  जानिए कौन हैं झारखंडी टाइगर चम्पई सोरेन? हेमंत सोरेन से क्या है उनका खास रिश्ता?

600 से अधिक प्रतिनिधि होंगे शामिल
महासचिव ने बताया कि साहित्य महोत्सव में भारत और विदेशों से 600 से अधिक प्रतिनिधि शामिल होंगे। इनमें नेपाल, बांग्लादेश और यूनाइटेड किंगडम के प्रतिष्ठित साहित्यकार भी भाग लेंगे। यह सम्मेलन संथाली साहित्य की विरासत और इसके वैश्विक प्रभाव पर चर्चा का मंच प्रदान करेगा।

पुस्तक मेले में संथाली साहित्य की उपेक्षा
हाल ही में जमशेदपुर में आयोजित पुस्तक मेले में संथाली और अन्य आदिवासी भाषाओं की किताबों को सीमित जगह दी गई। संथाली पुस्तक स्टॉल पर कम ग्राहकों की उपस्थिति को लेकर एक अधिकारी रामकृष्ण मार्डी ने चिंता जताई। उन्होंने कहा, “सरकारी स्कूलों में आदिवासी भाषाओं में शिक्षा न होने के कारण ये भाषाएं विलुप्ति की कगार पर हैं।”

संथाली भाषा: एक परिचय
संथाली भाषा मुंडा परिवार की एक प्रमुख भाषा है, जो मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, झारखंड, और ओडिशा में बोली जाती है। 21वीं सदी की शुरुआत में इसके लगभग 60 लाख वक्ता थे, जिनमें से 48 लाख भारत में, 1.5 लाख बांग्लादेश में और 40 हजार नेपाल में थे। यह भाषा भारत की आधिकारिक अनुसूचित भाषाओं में शामिल है।

See also  पार्वती तिर्की को मिला साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार, आदिवासी चेतना और प्रकृति को कविता में दी पहचान

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

10 most Expensive cities in the World धरती आबा बिरसा मुंडा के कथन