झारखंड में आदिवासियों की सरकारी नौकरियों में भागीदारी: चौंकाने वाले आंकड़े

झारखंड में आदिवासी समुदाय राज्य की आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, लेकिन सरकारी नौकरियों में उनकी भागीदारी बेहद कम है। 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य की कुल जनसंख्या का 26.2 प्रतिशत हिस्सा आदिवासी समुदाय से आता है। बावजूद इसके, सरकारी और स्थायी नौकरियों में उनकी हिस्सेदारी न के बराबर है।

आदिवासी समुदाय की सरकारी नौकरी में भागीदारी

  • सिर्फ 6.8 प्रतिशत आदिवासी परिवारों के पास अस्थायी नौकरी है।
  • सरकारी नौकरियों में आदिवासियों की भागीदारी मात्र 3.49 प्रतिशत है।
  • इसके विपरीत, अनुसूचित जाति (SC) समुदाय की स्थिति तुलनात्मक रूप से बेहतर है, जहां 8.2 प्रतिशत SC परिवारों के पास स्थायी नौकरी है और 5.08 प्रतिशत सरकारी नौकरियों में कार्यरत हैं

राज्य सरकार के ताजा आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, आदिवासी समुदाय का मुख्य रूप से आजीविका का साधन अस्थायी कार्य और कृषि है।

आदिवासी जनसंख्या वितरण और विशेष समूह

सर्वेक्षण में झारखंड के आदिवासी समुदाय की विविधता को भी दर्शाया गया है:

  • संथाल – 31.86%
  • उरांव – 19.85%
  • मुंडा – 14.21%
  • हो – 10.73%
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इसके अलावा, झारखंड में नौ विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) भी मौजूद हैं, जिनमें असुर, बिरहोर, माल पहाड़िया और सौरिया पहाड़िया शामिल हैं। ये समुदाय अत्यधिक सामाजिक-आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।

ग्रामीण इलाकों में आदिवासी आबादी

झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में आदिवासी परिवारों की संख्या 29 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत (11%) और पूर्वी क्षेत्र के औसत (10%) से काफी अधिक है। कुछ जिलों में आदिवासी आबादी का प्रतिशत:

  • खूंटी – 75%
  • सिमडेगा – 67%
  • पश्चिमी सिंहभूम – 62%
  • लोहरदगा – 61%
  • कोडरमा – 1%
  • पलामू – 9%

सरकारी योजनाएं और सुधार के प्रयास

सरकार ने आदिवासी समुदाय के उत्थान के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका और सांस्कृतिक संरक्षण पर केंद्रित कई योजनाएं शुरू की हैं। इनमें शामिल हैं:

1. शिक्षा: छात्रवृत्ति और फेलोशिप कार्यक्रम

  • टॉप-क्लास छात्रवृत्ति योजना – इंजीनियरिंग, मानविकी, प्रबंधन और विज्ञान के छात्रों के लिए।
  • राष्ट्रीय फेलोशिप योजना – पीएचडी और एमफिल छात्रों को आर्थिक सहायता।
  • ओवरसीज छात्रवृत्ति योजना – यूके, यूएस और ऑस्ट्रेलिया में उच्च शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता।
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2. खाद्य सुरक्षा और आवास

  • PVTG डाकिया योजना – विशेष रूप से कमजोर जनजातियों को सब्सिडी वाला खाद्यान्न।
  • रागी क्रांति (गुमला में 219% वृद्धि) – महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से पोषण और आय में सुधार।
  • बिरसा आवास योजना – आर्थिक रूप से कमजोर जनजातियों को गुणवत्तापूर्ण आवास।
  • अबुआ आवास योजना – 8 लाख घरों के निर्माण का लक्ष्य, प्रत्येक लाभार्थी को 2 लाख रुपये की वित्तीय सहायता।

3. स्वास्थ्य और रोजगार

  • मुख्यमंत्री सारथी योजना – युवाओं को रोजगार और व्यावसायिक प्रशिक्षण।
  • मुख्यमंत्री स्वास्थ्य योजना – वंचित समुदायों के लिए चिकित्सा सहायता।
  • ब्लॉक स्तरीय ग्रामीण कौशल अधिग्रहण संस्थान (बिरसा योजना) – 24 जिलों के 80 प्रखंडों में कौशल प्रशिक्षण।

हालांकि झारखंड में आदिवासी समुदाय की आबादी महत्वपूर्ण है, लेकिन सरकारी नौकरियों में उनकी भागीदारी अब भी बेहद कम बनी हुई है। हालांकि, सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं से शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक उत्थान के क्षेत्रों में सुधार के संकेत मिल रहे हैं। यदि इन योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए, तो आने वाले वर्षों में आदिवासी समुदाय की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में उल्लेखनीय बदलाव हो सकता है।

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