मणिपुर में ‘Any Kuki Tribe’ को एसटी सूची से हटाने की मांग तेज

मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद मणिपुर में शांति वार्ता की संभावनाएं जताई जा रही हैं, लेकिन यह प्रक्रिया आसान नहीं होगी। कुकी समुदाय अलग स्वायत्तता की मांग कर रहा है, वहीं मैतई समुदाय अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में शामिल किए जाने की मांग कर रहा है।

इस बीच, थाडौ जनजाति के प्रमुख संगठन ‘थाडौ इनपी मणिपुर’ ने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मिलकर ‘Any Kuki Tribe’ को मणिपुर की एसटी सूची से हटाने की मांग की है। संगठन का तर्क है कि यह श्रेणी अस्पष्ट और अनिश्चित है, जिससे राज्य की एकता और अखंडता को खतरा है। संगठन ने दावा किया कि ‘Any Kuki Tribe’ के तहत अवैध प्रवासियों को संरक्षण मिल रहा है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा उत्पन्न हो रहा है।

‘Any Kuki Tribe’ की 2003 में हुई थी एसटी सूची में एंट्री

संगठन ने ज्ञापन में कहा कि फरवरी 2023 में मणिपुर सरकार ने जनजातीय मामलों के मंत्रालय को पत्र लिखकर इस श्रेणी को एसटी सूची से हटाने की सिफारिश की थी। ‘Any Kuki Tribe’ को 2003 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा एसटी सूची में जोड़ा गया था। थाडौ इनपी का कहना है कि यह श्रेणी 1951 में मणिपुर की जनजातियों के अस्थायी वर्गीकरण का हिस्सा थी, जिसे केवल पांच वर्षों के लिए लागू किया गया था। संगठन ने आरोप लगाया कि 2002 में “फर्जी कुकी जनजाति” बनाई गई, जिसे 2003 में एसटी सूची में शामिल किया गया, जिससे कुछ लोगों को राजनीतिक और आर्थिक लाभ मिला।

See also  लांस नायक अल्बर्ट एक्का: वीरता की मिसाल

शांति और एकता की अपील

थाडौ इनपी मणिपुर ने सभी जनजातीय समुदायों से शांति और एकता बनाए रखने की अपील की है। संगठन ने कहा कि ‘Any Kuki Tribe’ के तहत अपनी पहचान रखने वाले, लेकिन अवैध प्रवासी नहीं होने वाले लोग अपनी मूल जनजाति में लौट सकते हैं। संगठन ने कुकी उग्रवादी समूहों पर थाडौ समुदाय के मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाया और सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (SoO) समझौते के नवीनीकरण में थाडौ जनजाति के अधिकारों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रावधान जोड़ने की मांग की।

मैतई और थाडौ समुदायों के बीच वार्ता की आवश्यकता

संगठन ने राज्यपाल से मैतई और थाडौ समुदायों के नेताओं के बीच वार्ता आयोजित कराने की अपील की, जिससे आपसी समझ और शांति बहाली में मदद मिल सके। संगठन ने जोर देकर कहा कि मणिपुर हिंसा से केवल कुकी और मैतई समुदाय ही नहीं, बल्कि अन्य गैर-कुकी समुदाय भी प्रभावित हुए हैं, इसलिए समाधान की प्रक्रिया में सभी प्रभावित समुदायों को शामिल किया जाना चाहिए।

See also  धुमकुड़िया 2025: धरोहर से भविष्य तक, धुमकुड़िया के माध्यम से युवा सशक्तिकरण की नई पहल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

10 most Expensive cities in the World धरती आबा बिरसा मुंडा के कथन