आरएसएस के समर्पित कार्यकर्ता, प्रधानमंत्री मोदी की प्रथम कैबिनेट के साथी, चार बार के लोकसभा सांसद और आदिवासी समाज के प्रमुख नेता विष्णुदेव साय छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री होंगे। वह भाजपा और राज्य के प्रथम आदिवासी मुख्यमंत्री होंगे। भारत मे सिक्किम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मेघालय और झारखंड में पहले से ही आदिवासी मुख्यमंत्री हैं। छत्तीसगढ़ में एक आदिवासी मुख्यमंत्री बनाने वाला 7वां राज्य होगा।
वैसे छत्तीसगढ़ के सर्वप्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी भी खुद को आदिवासी ही कहते रहे, लेकिन 2019 में अदालत ने उनका ‘अनुसूचित जनजाति’ वाला प्रमाण-पत्र ‘अमान्य’ कर दिया था, लिहाजा प्रशासनिक और राजनीतिक व्यवहार में विष्णुदेव ही राज्य के प्रथम आदिवासी मुख्यमंत्री माने जाएंगे।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और विजय शर्मा को उपमुख्यमंत्री बनाया जाना तय हुआ है। छत्तीसगढ़ के लगातार तीन बार मुख्यमंत्री रहे डॉ. रमन सिंह को ‘विधानसभा अध्यक्ष’ का दायित्व सौंपा जाएगा। विष्णुदेव साय भाजपा-संघ परिवार के मंजे हुए नेता हैं, क्योंकि उन्होंने सरपंच से लेकर मुख्यमंत्री तक का ‘चरमोत्कर्ष’ छुआ है। इन विधानसभा चुनावों में भाजपा ने आदिवासियों का नया वोट बैंक तैयार कर कांग्रेस के जबड़े से जीत छीनी है। चुनाव के किसी भी सर्वे में भाजपा की जीत के आसार नहीं थे। कांग्रेस के लिए सत्ता में बने रहने के स्पष्ट अनुमान लगाए गए थे, लेकिन जनादेश घोषित हुआ, तो सरगुजा क्षेत्र की सभी 14 सीट और बस्तर की 12 में से 8 सीट भाजपा के हिस्से आईं। इसे ‘नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्र’ भी माना जाता है।
कांग्रेस का पुराना, परंपरागत आदिवासी जनाधार ही ध्रुवीकृत हो गया। चूंकि भाजपा ने 2022 में ही आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू को देश का राष्ट्रपति निर्वाचित कराया था, आदिवासियों के भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिन को ‘राष्ट्रीय जनजाति दिवस’ घोषित किया था, नतीजतन आदिवासियों के ध्रुवीकरण के ये दो बुनियादी कारण साबित हुए। इसके अलावा, आरएसएस ने ‘बनवासी कल्याण आश्रम’ के जरिए पुराने मध्यप्रदेश (अब छत्तीसगढ़) में आदिवासियों के लिए व्यापक कार्य किए हैं। प्रधानमंत्री मोदी की ‘गारंटियों’ के साथ-साथ छत्तीसगढ़ भाजपा के नेताओं ने भी राज्य की करीब 33 फीसदी आबादी, यानी कुल 90 में से 30 विधानसभा सीट, को विश्वास दिलाया कि भाजपा ही उनकी हितैषी पार्टी है।
नतीजा सामने है। 2018 में इन आदिवासी बहुल इलाकों ने कांग्रेस को लबालब जनादेश दिया था। अब मोदी-शाह की भाजपा ने आदिवासियों के अलावा, ओबीसी, दलितों और महिलाओं के वोट बैंक सुनिश्चित कर लिए हैं। हाल ही में तीन राज्यों में जो जनादेश सामने आए हैं, उनमें इन समुदायों के बहुमत वोट भाजपा के पक्ष में आए हैं।
अमित शाह ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा भी था, विष्णुदेवजी हमारे अनुभवी कार्यकर्ता हैं, नेता हैं, सांसद रहे, विधायक रहे, प्रदेश अध्यक्ष रहे। एक अनुभवी नेता को भाजपा आपके सामने लाई है। आप इनको विधायक बना दो, उनको बड़ा आदमी बनाने का काम हम करेंगे। अमित शाह ने बड़ा आदमी बनाने का अपना वायदा इतना जल्दी पूरा कर दिया है।
जाने विष्णुदेव साय के बारें में
21 फरवरी 1964 को एक आदिवासी परिवार में जन्में विष्णुदेव साय ने अपनी 10वीं तक की पढ़ाई कुनकुरी के लोयला हायर सेकेंडरी स्कूल से की है। अब तक चार बार के सांसद, तीन बार के विधायक और छत्तीसगढ़ में भाजपा के अध्यक्ष की कमान एवं केंद्र सरकार में राज्य मंत्री भी रह चुके हैं। 26 साल की उम्र में ही पहली बार विधायक बनने वाले विष्णुदेव के दिवंगत दादा बुधनाथ साय 1947 से 1952 तक विधायक रह चुके हैं। उनके दिवंगत ताऊ नरहरि प्रसाद साय भी दो बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके हैं। विष्णुदेव साय ने ताज़ा चुनाव कुनकुरी विधानसभा सीट से लड़ा था, जिसमें उन्होंने 25 हजार 541 वोटों से जीत दर्ज की। कम बोलने और बेहद विनम्र माने जाने वाले विष्णुदेव साय को, पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह का बेहद करीबी माना जाता है।