भगवान जगन्नाथ और आदिवासी समुदाय का ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक संबंध

भगवान जगन्नाथ, जो कि ओडिशा के प्रमुख देवता और हिंदू धर्म के एक महत्वपूर्ण अवतार माने जाते हैं, उनका संबंध केवल ब्राह्मणवादी परंपराओं तक सीमित नहीं है। जगन्नाथ संस्कृति का एक बड़ा हिस्सा आदिवासी समुदायों से जुड़ा हुआ है। पुरी के जगन्नाथ मंदिर और उनकी रथयात्रा में आदिवासी परंपराओं का गहरा प्रभाव देखने को मिलता है।

जगन्नाथ संस्कृति में आदिवासी प्रभाव

1. शबर जनजाति और जगन्नाथ पूजा

ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की मूल पूजा शबर (एक आदिवासी समुदाय) करते थे। पुराणों और स्थानीय किंवदंतियों में जगन्नाथ को “शबर विष्णु” या “शबर नारायण” कहा गया है। माना जाता है कि शबर जनजाति के लोग नीलमाधव (जगन्नाथ का एक रूप) की पूजा करते थे, जिसे बाद में राजा इंद्रद्युम्न ने पुरी में स्थापित किया।

2. दारु ब्रह्म की अवधारणा

जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियाँ काष्ठ (लकड़ी) से निर्मित होती हैं, जिसे “दारु ब्रह्म” कहा जाता है। यह परंपरा आदिवासी लकड़ी की मूर्ति-पूजा से जुड़ी हुई है। आदिवासी समुदाय प्रकृति की पूजा करते हैं और लकड़ी को पवित्र मानते हैं, जो जगन्नाथ की मूर्ति निर्माण में दिखाई देता है।

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3. रथयात्रा में आदिवासी परंपराएँ

जगन्नाथ रथयात्रा के दौरान कई आदिवासी रीति-रिवाज देखे जा सकते हैं, जैसे:

  • छेरा पहरा (महाराजा द्वारा मंदिर की सफाई): यह परंपरा आदिवासी समाज में सामूहिकता और समानता को दर्शाती है।
  • रथ निर्माण में आदिवासी कारीगरों का योगदान: रथों के निर्माण में देवदारु लकड़ी का उपयोग होता है, जिसे आदिवासी कारीगर ही तैयार करते हैं।

4. जगन्नाथ मंदिर में आदिवासी सेवक

पुरी के जगन्नाथ मंदिर में कई सेवाएँ आदिवासी समुदायों द्वारा संचालित हैं, जैसे:

  • दैतापति सेवक: ये आदिवासी मूल के लोग होते हैं, जो मंदिर के विशेष अनुष्ठानों में भाग लेते हैं।
  • सुवर्णकार (स्वर्णकार) जनजाति: ये लोग मंदिर के आभूषणों और सजावट का काम करते हैं।

निष्कर्ष

भगवान जगन्नाथ की परंपरा में आदिवासी संस्कृति का गहरा प्रभाव है। शबर जनजाति से लेकर मंदिर के विभिन्न अनुष्ठानों तक, आदिवासी समुदायों ने जगन्नाथ संस्कृति को समृद्ध किया है। यह संबंध सांस्कृतिक एकता और सह-अस्तित्व का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

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सन्दर्भ

  • “The Tribal Roots of Jagannath” – शोध पत्र, ओडिशा संस्कृति विभाग
  • “Jagannath Culture and Tribal Traditions” – पुस्तक, डॉ. नीलमणि मिश्र
  • पुरी जगन्नाथ मंदिर का इतिहास – विभिन्न ऑनलाइन स्रोत

इस प्रकार, भगवान जगन्नाथ और आदिवासी समुदाय का संबंध केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का प्रतीक है।

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