सड़क सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार का मास्टर प्लान तैयार, टू-व्हीलर के साथ अब दो हेलमेट अनिवार्य

देश में बढ़ती जनसंख्या और सड़कों पर तेजी से बढ़ते वाहनों की संख्या के चलते सड़क दुर्घटनाओं में लगातार इज़ाफा हो रहा है। इसे गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार ने सड़क सुरक्षा को लेकर बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सड़क सुरक्षा के लिए मास्टर प्लान तैयार किया है, जिसके तहत कई अहम बदलाव लागू किए जाएंगे।

मास्टर प्लान के अनुसार, अब दोपहिया वाहन खरीदने पर दो हेलमेट देना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही, सड़कों के बीच में तीन फीट ऊँचे डिवाइडर बनाए जाएंगे, ताकि लोग सड़क को कूदकर पार न कर सकें।

सरकार का मानना है कि इन उपायों से सड़क दुर्घटनाओं की घटनाओं में कमी आएगी और लोगों की जान बचाई जा सकेगी। मंत्रालय के अनुसार, आने वाले समय में और भी कई सुरक्षा उपायों को लागू किया जाएगा ताकि देश की सड़कों को अधिक सुरक्षित बनाया जा सके.


देश में सड़क सुरक्षा की स्थिति बेहद गंभीर होती जा रही है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार, सिर्फ स्कूलों के सामने ही हर साल करीब 10 हजार बच्चे सड़क दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते हैं। यह आंकड़ा न सिर्फ चौंकाने वाला है, बल्कि यह बताता है कि सड़क सुरक्षा को अब युद्ध स्तर पर प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।

साल 2022 के आधिकारिक आंकड़े भी हालात की भयावहता को उजागर करते हैं। पूरे देश में उस वर्ष 4,80,000 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें 1,80,000 लोगों की जान गई और लगभग 4,00,000 लोग गंभीर रूप से घायल हुए। इन हादसों में सबसे अधिक प्रभावित 18 से 45 वर्ष की आयु वर्ग के लोग रहे। इनमें से अधिकांश दोपहिया वाहन चालक और पैदल यात्री थे।

सरकार अब इस दिशा में सक्रिय दिख रही है। सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा ‘रोड सेफ्टी ऑडिट’ के जरिए देशभर में दुर्घटना संभावित क्षेत्रों की पहचान की जा रही है। इन स्थानों को ‘ब्लैक स्पॉट’ घोषित किया जा रहा है, जहां दुर्घटनाओं की आशंका सबसे अधिक होती है।

उम्मीद की जा रही है कि केंद्र सरकार अपने सड़क सुरक्षा मास्टर प्लान में इन चिन्हित क्षेत्रों को प्राथमिकता देगी, ताकि भविष्य में होने वाली जानलेवा दुर्घटनाओं को रोका जा सके।

सड़क हादसों में घायल लोगों की जान बचाने वालों को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार ‘राहवीर योजना’ जल्द ही पूरे देश में लागू करने जा रही है। इस योजना के तहत यदि कोई व्यक्ति सड़क दुर्घटना में घायल किसी व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाता है और उसकी जान बच जाती है, तो उसे 25 हजार रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।

योजना के अंतर्गत घायल व्यक्ति को भी आर्थिक सहायता दी जाएगी। अस्पताल में भर्ती होने पर पीड़ित को सात दिन तक का इलाज मुफ्त मिलेगा या अधिकतम 1.50 लाख रुपये तक की चिकित्सा सहायता दी जाएगी।

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी का मानना है कि यदि लोग घायलों की मदद करने के लिए आगे आएं, तो हर साल करीब 50 हजार लोगों की जान बचाई जा सकती है। सरकार को उम्मीद है कि यह योजना न सिर्फ जीवनरक्षक साबित होगी, बल्कि समाज में सहयोग की भावना को भी बढ़ावा देगी।


सरकार भले ही ‘राहवीर योजना’ के ज़रिए सड़क दुर्घटनाओं में घायलों की मदद करने वालों को 25 हजार रुपये का इनाम देने की तैयारी कर रही हो, लेकिन कहीं ऐसा न हो कि प्रोत्साहन केवल उस स्थिति में न दिया जाए जब घायल की जान बचाई जा सके, बल्कि हर उस प्रयास को सराहा जाना चाहिए जिसमें किसी ने घायल को अस्पताल पहुंचाया हो—चाहे वह व्यक्ति बच पाए या नहीं। अन्यथा, गंभीर स्थिति में लोग यह सोचकर पीछे हट सकते हैं कि यदि घायल की मृत्यु हो गई, तो उन्हें कोई सहायता नहीं मिलेगी।

इसके साथ ही, एक बड़ी चिंता यह भी है कि दुर्घटना पीड़ित की मदद करने वाला व्यक्ति अक्सर कानूनी प्रक्रियाओं में उलझ जाता है। पुलिस पूछताछ, कोर्ट के चक्कर और मेडिकल लीगल जाँचों से परेशान होकर लोग अकसर मदद करने से बचते हैं। यही वजह है कि आज भी शहरों में सड़क पर घायल पड़े लोगों को मदद मिलने में देरी होती है।

अगर सरकार वास्तव में समाज में मदद की भावना को बढ़ावा देना चाहती है, तो उसे न केवल आर्थिक प्रोत्साहन देना होगा, बल्कि मददगारों को कानूनी सुरक्षा भी सुनिश्चित करनी होगी।

केंद्र सरकार ने 2030 तक देश में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या को 50 प्रतिशत तक घटाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। इस दिशा में विभिन्न स्तरों पर नीतियां बनाई जा रही हैं और सुरक्षा उपायों को तेज़ी से लागू किया जा रहा है।

हालांकि, यह एक चिंता का विषय है कि सड़क दुर्घटनाएं न केवल हजारों लोगों की जान लेती हैं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था पर भी बड़ा असर डालती हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, हर साल सड़क हादसों के कारण भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को कम से कम तीन प्रतिशत का नुकसान होता है।

सरकार को उम्मीद है कि अगर सड़क सुरक्षा उपाय प्रभावी रूप से लागू किए गए, तो न केवल जानमाल की हानि रोकी जा सकेगी, बल्कि देश की आर्थिक प्रगति को भी गति मिलेगी।

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