तेल पर निर्भरता किसी भी देश की आर्थिक स्थिरता और ऊर्जा सुरक्षा को प्रभावित करने वाला प्रमुख कारक है। भारत और चीन जैसे ऊर्जा-गहन देशों के लिए यह न केवल आर्थिक मुद्दा है, बल्कि पर्यावरणीय और रणनीतिक चुनौतियों से भी जुड़ा हुआ है। तेल की आयात-निर्भरता इन दोनों देशों की ऊर्जा नीतियों में एक बड़ी बाधा रही है, जो उन्हें आयात बिल बढ़ाने और आपूर्ति श्रृंखला की अस्थिरता का सामना करने के लिए मजबूर करती है।
हालांकि, बदलते वैश्विक परिदृश्य और जलवायु परिवर्तन के खतरों ने इन देशों को ऊर्जा के वैकल्पिक और टिकाऊ स्रोतों की ओर अग्रसर किया है। भारत और चीन दोनों ने नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहनों, और हरित प्रौद्योगिकी के माध्यम से तेल पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। इन प्रयासों का उद्देश्य न केवल आयात में कमी लाना है, बल्कि पर्यावरणीय प्रभाव को भी न्यूनतम करना है।
भारत और चीन: खनिज तेल पर निर्भरता कम करने के प्रयास
खनिज तेल पर निर्भरता दुनिया भर के देशों के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। भारत और चीन, दो बड़े ऊर्जा उपभोक्ता, इस दिशा में कई कदम उठा रहे हैं। ये दोनों देश अपने-अपने प्रयासों से न केवल तेल आयात को कम करना चाहते हैं, बल्कि ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता को भी बढ़ावा देना चाहते हैं।
भारत के प्रयास
- नवीकरणीय ऊर्जा का विस्तार
भारत सौर और पवन ऊर्जा में तेजी से निवेश कर रहा है। 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। सौर ऊर्जा उत्पादन में भारत ने वैश्विक नेतृत्व स्थापित किया है।
- एथेनॉल मिश्रण और हरित हाइड्रोजन
भारत पेट्रोल में 20% एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य 2025 तक पूरा करने की योजना बना रहा है। इसके साथ, “नेशनल हाइड्रोजन मिशन” के तहत हरित हाइड्रोजन उत्पादन पर जोर दिया गया है।
- इलेक्ट्रिक वाहनों का विकास
सरकार ने FAME योजना के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) के विकास को प्रोत्साहित किया है। इसके अलावा, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का तेजी से विस्तार हो रहा है।
- घरेलू तेल उत्पादन बढ़ाना
तेल खोज और उत्पादन में घरेलू प्रयास तेज किए गए हैं। नई नीतियों के तहत विदेशी और निजी निवेश को बढ़ावा दिया गया है।
चीन के प्रयास
- इलेक्ट्रिक वाहन और नवीकरणीय ऊर्जा
चीन विश्व में इलेक्ट्रिक वाहनों का सबसे बड़ा बाजार है। 2023 में, चीन ने विश्व के 60% नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए। इसके अलावा, 2040 तक 6000 गीगावॉट सौर और पवन ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य है।
- तेल आयात में रणनीतिक बदलाव
चीन ने रूस और अन्य तेल उत्पादक देशों के साथ दीर्घकालिक साझेदारी कर अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित की है। हालांकि यह अभी भी दुनिया का सबसे बड़ा तेल आयातक है, लेकिन इसके प्रयास तेल की खपत को स्थिर करने की दिशा में हैं।
- कोयला और ऊर्जा संक्रमण
चीन को अभी भी अपनी ऊर्जा मांग का बड़ा हिस्सा कोयले से पूरा करना पड़ता है। 2023 में चीन ने विश्व के 73% नए कोयला संयंत्र स्थापित किए, जो ऊर्जा संक्रमण में बाधा पैदा कर सकते हैं।
चुनौतियाँ और अवसर
- तेल पर निर्भरता की आर्थिक और पर्यावरणीय चुनौतियाँ
तेल आयात पर अत्यधिक निर्भरता न केवल आर्थिक रूप से महंगी है, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन के जोखिम भी बढ़ाती है।
- नवीकरणीय ऊर्जा और प्रौद्योगिकी का विकास
दोनों देशों में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन और तकनीकी विकास की गति प्रभावशाली है। भारत और चीन, दोनों हरित ऊर्जा में वैश्विक नेतृत्व करने की स्थिति में हैं।
- नीतिगत सुधार और वैश्विक साझेदारी
सार्थक नीतियों और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी से इन देशों को अपनी ऊर्जा सुरक्षा मजबूत करने और तेल निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी।
भारत और चीन के प्रयास खनिज तेल पर निर्भरता कम करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं। जहाँ भारत अपने ऊर्जा संक्रमण में तेजी ला रहा है, वहीं चीन की रणनीतिक साझेदारी और नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश इसे वैश्विक ऊर्जा बाजार में प्रभावशाली बनाते हैं। दीर्घकालिक नीतियाँ और सतत विकास का दृष्टिकोण इन दोनों देशों के लिए ऊर्जा आत्मनिर्भरता और पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में सफल साबित हो सकता है।