बिरसा मुंडा ने विदेशी शासन कभी स्वीकार नहीं किया: मोदी

आने वाले 15 नवंबर को पूरा देश जनजातीय गौरव दिवस मनाएगा. ये विशेष दिन भगवान बिरसा मुंडा की जयंती से जुड़ा है. रविवार को मन की बात कार्यक्रम में पीएम ने कहीं. मन की बात कार्यक्रम का 106वां एपिसोड, झारखंड और यहां के आदिवासी विभूतियों के नाम रहा. जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा, तिलका मांझी और सिदो-कान्हू को याद किया.

मन की बात में पीएम ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा हम सबसे ह्रदय में बसे हैं, सच्चा साहस क्या है और अपना संकल्प शक्ति पर अडिग रहना किसे कहते हैं, ये हम उनकी जीवन से सीख सकते हैं. उन्होंने विदेशी शासन को कभी स्वीकार नहीं किया, उन्होंने ऐसे समाज की संकल्पना की, जहां अन्याय के लिए कोई जगह नहीं थी, वे चाहते थे कि हर व्यक्ति को सम्मान और समानता का जीवन मिले. भगवान बिरसा मुंडा ने प्रकृति के साथ सद्भाव से रहने पर हमेशा से जोर दिया. आज भी हम देख सकते हैं कि हमारे आदिवासी भाई-बहनें प्रकृति की देखभाल और उसके संरक्षण के लिए हर तरह से समर्पित हैं. हम सबके लिए हम आदिवासी भाई-बहन का ये काम बहुत बड़ी प्रेरणा है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात भी जोर दिया कि आज युवा अपने क्षेत्र की आदिवासी विविधताओं के बारे में जानें और उनसे प्रेरणा लें. पीएम ने कहा कि भारत देश हमारे आदिवासी समाज का कृतज्ञ है, जिन्होंने राष्ट्र के स्वाभिमान और उत्थान को हमेशा सर्वोपरि रखा.

पीएम नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कहा कि भारतवर्ष में आदिवासियों के गांवों का समृद्ध इतिहास रहा है. इसी भारत भूमि पर महान तिलका मांझी ने अन्याय के खिलाफ बिगुल फूंका था. इसी धरती से सिदो-कान्हू ने समानता की आवाज उठाई. झारखंड के आदिवासी और महान विभूतियों की चर्चा करने के साथ ही पीएम ने दूसरे राज्यों के अन्य जनजातीय वीर सेनानियों का भी जिक्र किया. जन योद्धा तांत्या भील, वीर रामजी गोंड, गुंडाधूर, भीमा नायक, सीताराम राजू और रानी दुर्गावती की वीर गाथा और उनके साहस को आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बताया.

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