केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार, 22 दिसंबर को त्रिपुरा के दूरस्थ बुरहा पाड़ा गांव का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने ब्रू-रियांग समुदाय के लोगों से मुलाकात की और कहा, “मैं आपसे ज्यादा खुश हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बहुत खुश हैं कि 40 साल बाद हम आपका पुनर्वास कर सके।”
ब्रू-रियांग समुदाय का परिचय
ब्रू-रियांग पूर्वोत्तर भारत के त्रिपुरा, असम और मिजोरम में रहने वाला आदिवासी समुदाय है। इन्हें भारतीय संविधान में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) के रूप में मान्यता प्राप्त है। यह समुदाय त्रिपुरा में कई स्थानों पर फैला हुआ है।
शाह का संबोधन
अमित शाह ने कहा कि केंद्र सरकार त्रिपुरा सरकार के साथ मिलकर ब्रू-रियांग समुदाय के पुनर्वास के लिए प्रयासरत है। उन्होंने कहा, “हमने 40,000 विस्थापित लोगों का पुनर्वास किया है और उन्हें शिक्षा, स्वच्छ पानी, बिजली, और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान की हैं।”
उन्होंने पुनर्वासित परिवारों के लिए 25 प्रकार की आजीविका के अवसरों का उल्लेख किया, जिनमें पशुपालन, डेयरी, मधुमक्खी पालन, और बाजरा खेती शामिल हैं।
पुनर्वास योजना और प्रगति
1997, 1998 और 2009 में जातीय हिंसा के कारण ब्रू समुदाय मिजोरम से त्रिपुरा में पलायन कर गया था। 16 जनवरी 2020 को हस्ताक्षरित एक समझौते के तहत इनका पुनर्वास शुरू हुआ। पुनर्वास के लिए त्रिपुरा में 12 स्थानों की पहचान की गई, जिनमें 9 वन भूमि पर और 3 सरकारी भूमि पर हैं।
पुनर्वास के लिए 821.98 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इनमें से 793.65 करोड़ रुपये केंद्र सरकार और 28.34 करोड़ रुपये राज्य सरकार द्वारा वहन किए जा रहे हैं। अब तक 693.13 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं, जिनमें से 406.42 करोड़ रुपये लाभार्थियों के खातों में स्थानांतरित किए गए हैं।
ब्रू-रियांग समुदाय की विशेषताएं
यह समुदाय रियांग बोली बोलता है, जो तिब्बती-बर्मी भाषाई परिवार से संबंधित है। कृषि इनकी आजीविका का मुख्य स्रोत है, जिसमें झूम खेती प्रमुख है। रियांग जनजाति को त्रिपुरा और मिजोरम की अनुसूचित जनजाति में शामिल किया गया है।
सरकार की पहल
सरकार ने पुनर्वासित क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का विकास किया है, जैसे बिजली आपूर्ति, आंतरिक सड़कों का निर्माण, पेयजल व्यवस्था, स्कूल, स्वास्थ्य उप-केंद्र, और सौर स्ट्रीट लाइट की स्थापना। ग्रामीणों ने शाह से आयुष्मान भारत स्वास्थ्य कार्ड की कमी की शिकायत की, जिस पर उन्होंने दो दिनों में समाधान का आश्वासन दिया।
अमित शाह ने कहा कि यह पुनर्वास प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और केंद्र-राज्य के सहयोग का परिणाम है, जिससे हजारों ब्रू परिवारों को एक स्थायी और सम्मानजनक जीवन मिला है।