जर्मनी के मैगडेबर्ग शहर के एक व्यस्त क्रिसमस बाजार में हुए वाहन हमले में पांच लोगों की मौत हो गई, जिसमें एक बच्चा भी शामिल है, और 200 से अधिक लोग घायल हो गए। घायलों में सात भारतीय नागरिक भी शामिल हैं। यह घटना शुक्रवार शाम को हुई, जिसने देश और दुनिया भर में शोक और आक्रोश की लहर पैदा कर दी है।
हमलावर की पहचान 50 वर्षीय सऊदी मूल के मनोचिकित्सक तालेब अल-अब्दुलमोहसेन के रूप में हुई है, जिसने एक किराए की एसयूवी को भीड़-भाड़ वाले बाजार में घुसा दिया। चश्मदीदों ने अफरा-तफरी और डरावने दृश्यों का वर्णन किया, जब वाहन ने स्टॉल और वहां मौजूद लोगों को कुचल दिया। अधिकारियों ने पुष्टि की है कि अब्दुलमोहसेन ने ऑनलाइन उग्रवादी सामग्री पोस्ट की थी और सऊदी शरणार्थियों के प्रति जर्मनी की नीतियों को लेकर असंतोष व्यक्त किया था।
घायलों में भारतीय नागरिक
घायलों में सात भारतीय नागरिक शामिल हैं। इनमें से तीन को इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है, जबकि चार का अभी भी इलाज चल रहा है। भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए इसे “भयानक और बेवजह की गई हिंसा” करार दिया है और आश्वासन दिया है कि जर्मनी में भारतीय दूतावास प्रभावित लोगों और उनके परिवारों को हर संभव सहायता प्रदान कर रहा है।
इस घटना ने व्यापक निंदा की जा रही है। जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज़ और अन्य अधिकारियों ने पीड़ितों के लिए आयोजित स्मृति सभा में भाग लिया और कट्टरपंथ के खिलाफ एकजुटता और सतर्कता की आवश्यकता पर जोर दिया। देश भर में क्रिसमस बाजारों में सुरक्षा उपायों को बढ़ा दिया गया है ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
MEA ने भी बयान जारी करते हुए कहा:
“भारत इस कठिन समय में जर्मनी के साथ एकजुटता से खड़ा है। हम इस आतंकवादी कृत्य की निंदा करते हैं और पीड़ितों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं।”
अब्दुलमोहसेन को गिरफ्तार कर लिया गया है और उससे पूछताछ की जा रही है। अधिकारी उसके उद्देश्यों की जांच कर रहे हैं, जिसमें उसकी ऑनलाइन गतिविधियां और व्यक्तिगत असंतोष शामिल हैं। इस हमले ने सार्वजनिक स्थलों पर सुरक्षा और ऑनलाइन कट्टरपंथ के खतरे को लेकर बहस को फिर से तेज कर दिया है।
समुदाय की प्रतिक्रिया
यह हमला मैगडेबर्ग समुदाय को गहराई से प्रभावित कर गया है। स्थानीय लोग बाजार स्थल पर फूल और मोमबत्तियां रखकर शोक व्यक्त कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी पीड़ितों के प्रति एकजुटता और समर्थन के संदेशों की बाढ़ आ गई है।
वैश्विक एकजुटता
यह दुखद घटना चरमपंथ से उत्पन्न निरंतर खतरे की कठोर याद दिलाती है। कट्टरपंथ को रोकने और सार्वजनिक सुरक्षा को बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।
यह त्रासदी त्योहारों के मौसम पर एक काले साये की तरह छा गई है, लेकिन वैश्विक समुदाय की सहानुभूति और एकजुटता इन कठिन समय में आशा की किरण के रूप में काम करती है।