“रत्ती” यह शब्द हमारी रोजमर्रा की बातचीत का हिस्सा है। जैसे, रत्ती भर भी परवाह नहीं, रत्ती भर भी शर्म नहीं, रत्ती भर भी अक्ल नहीं। आपने भी इस शब्द को कभी न कभी बोला या सुना होगा। लेकिन क्या आपने सोचा है कि “रत्ती” का वास्तविक मतलब क्या है? यह आम बोलचाल में आया कैसे?
रत्ती का वास्तविक अर्थ
रत्ती एक प्रकार का पौधा है, जो पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। इस पौधे की फली मटर जैसी होती है, जिसमें लाल और काले रंग के बीज होते हैं। इन बीजों को ही “रत्ती” कहा जाता है। प्राचीन समय में जब मापने के लिए आधुनिक उपकरण नहीं थे, तब इन रत्ती के बीजों का उपयोग सोने और आभूषणों का वजन मापने के लिए किया जाता था।
रत्ती बीजों का वजन हमेशा समान होता है—121.5 मिलीग्राम, यानी लगभग 1 ग्राम का आठवां हिस्सा। यही वजह है कि रत्ती एक भरोसेमंद माप की इकाई बन गई। समय के साथ यह शब्द किसी चीज़ की “थोड़ी मात्रा” को दर्शाने के लिए भी इस्तेमाल होने लगा।
रत्ती शब्द का मुहावरेदार उपयोग
“रत्ती भर” का मतलब होता है जरा सा। आज भी इसके उदाहरण हमारी भाषा में देखने को मिलते हैं:
- तुम्हें तो रत्ती भर भी शर्म नहीं है।
- रत्ती भर किया गया सत्कर्म एक मन पुण्य के बराबर होता है।
- इस घर में हमारी रत्ती भर भी कीमत नहीं है।
- कुछ लोग रत्ती भर भी झूठ नहीं बोलते।
रत्ती: माप की इकाई
पुराने समय में रत्ती का इस्तेमाल माप के लिए होता था। सोने-चांदी का वजन मापने में रत्ती बहुत प्रसिद्ध हुई। माप के अन्य रूप इस प्रकार थे:
8 खसखस = 1 चावल
8 चावल = 1 रत्ती
8 रत्ती = 1 माशा
12 माशा = 1 तोला
16 तोला = 1 छटांक
4 छटांक = 1 सेर
हालांकि, आज ये माप कालातीत हो चुके हैं, लेकिन “रत्ती” और “तोला” अब भी स्वर्णकारों के काम में आते हैं। वर्तमान में, 1 रत्ती = 0.125 ग्राम और 1 तोला = 10 ग्राम माना जाता है।
रत्ती का प्राकृतिक महत्व
रत्ती को कृष्णला और रक्तकाकचिंची के नाम से भी जाना जाता है। इसे स्थानीय भाषाओं में गुंजा कहते हैं। इसके बीज का रंग लाल होता है, और ऊपरी सिरा काला होता है। कुछ बीज सफेद रंग के भी होते हैं। सभी बीज आकार और वजन में समान होते हैं—यह प्रकृति का अनोखा करिश्मा है।
औषधीय उपयोग
रत्ती के बीज जहरीले होते हैं और खाने योग्य नहीं होते। हालांकि, इनका औषधीय उपयोग किया जाता है। मवेशियों के घावों में होने वाले कीड़ों को मारने के लिए इसका उपयोग होता है। एक खुराक में अधिकतम दो बीज दिए जाते हैं।
सांस्कृतिक महत्व
रत्ती के बीजों की माला बनाकर बच्चों को पहनाई जाती है। माना जाता है कि यह माला बुरी नज़र से बचाती है।
“रत्ती” शब्द ने हमारे समाज और भाषा में एक गहरा प्रभाव छोड़ा है। इसका प्राकृतिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व आज भी हमें इसे याद रखने पर मजबूर करता है। यह न केवल हमारी भाषा को समृद्ध करता है, बल्कि हमारे अतीत से भी जोड़ता है।