हमार राज पार्टी के अध्यक्ष अरविंद नेताम ने कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों पर आदिवासियों को धोखा देने का आरोप लगाया है। आदिवासी नेता अरविंद नेताम ने कहा कि इसके कारण उन्हें पूर्व पार्टी छोड़ने और अपना नया राजनीतिक संगठन, हमार राज पार्टी (Hamar Raj Party) बनाने के लिए “मजबूर” किया.
अरविंद नेताम, जो राज्य में आदिवासी समूहों के एक छत्र संगठन, सर्व आदिवासी समाज (Sarva Adivasi Samaj) के प्रमुख हैं. उन्होंने सितंबर में घोषणा की थी कि संस्था ने हमार राज पार्टी के नाम से एक राजनीतिक दल रजिस्टर किया है.
छत्तीसगढ़ की आबादी में करीब 30 फीसदी आदिवासी समुदायों के साथ नेताम की पार्टी उस राज्य में हैरान कर सकती है जहां परंपरागत रूप से कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधी लड़ाई देखी जाती है.
एक न्यूज वेबसाइट से बात करते हुए अरविंद नेताम ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया क्योंकि यह अब वह पार्टी नहीं रही जो इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के वक्त थी.
अरविंद नेताम ने कहा कि सर्व आदिवासी समाज दो दशकों से अधिक समय से विभिन्न सरकारों के समक्ष आदिवासियों के मुद्दों को उठाता रहा है, चाहे वह कांग्रेस सरकार हो या भाजपा सरकार. लेकिन आपको हैरानी होगी कि राज्य में 15 साल तक शासन करने वाली भाजपा सरकार और फिर कांग्रेस सरकार (जो अब सत्ता में है) ने हमारी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया.
उन्होंने आगे कहा कि वास्तव में उन्होंने (राज्य सरकारों) एक बार भी हमें चर्चा के लिए बुलाने की जहमत नहीं उठाई. काफी हताशा के बाद हमने तय किया कि जब हमारी बात सुनने वाला कोई नहीं है तो लोकतंत्र में कहां जाएं? इन पार्टियों की दिलचस्पी सिर्फ वोट बटोरने में है. हमें पार्टी बनाने के लिए मजबूर किया गया.
उन्होंने कहा कि हम कभी नहीं चाहते थे कि सर्व आदिवासी समाज चुनावी लोकतंत्र का हिस्सा बने लेकिन क्या किया जा सकता है? भाजपा और कांग्रेस दोनों एक ही हैं तो आदिवासी समाज कहां जाएगा?
नेताम ने कहा कि उनकी हमार राज पार्टी अगले महीने होने वाले चुनावों में 90 में से लगभग 50 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. जिनमें ज्यादातर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटें हैं और जल, जंगल और जमीन के मुद्दों को उजागर करेंगी.
कौन है अरविंद नेताम
नेताम ने इंदिरा गांधी सरकार में केंद्रीय शिक्षा और सामाजिक कल्याण राज्य मंत्री के रूप में और पी.वी. नरसिम्हा राव सरकार में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री के रूप में काम किया है.
हालांकि, अनुभवी कांग्रेस नेता का पार्टी के साथ कई बार टकराव हुआ है. 1996 के लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने के बाद 1997 में वह बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में शामिल हो गए लेकिन 1998 में फिर कांग्रेस में लौट आए.
2012 में पी.ए. संगमा की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी का समर्थन करने के बाद उन्हें कांग्रेस से निलंबित कर दिया गया था. लेकिन उस वर्ष के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले 2018 में कांग्रेस में फिर से शामिल हो गए.