शादी से पहले दूल्हे ने की आत्महत्या, गरीबी और बारात की व्यवस्था न हो पाने से टूटा दिल

तिसरी (झारखंड), एक दुखद घटना में तिसरी थाना क्षेत्र के पंदनाटांड़ गांव के 24 वर्षीय युवक विजय मरांडी ने अपनी ही शादी से ठीक पहले आत्महत्या कर ली। विजय की शादी 20 अप्रैल को लोकाय नयनपुर के खेतो गांव में तय थी, लेकिन गरीबी के कारण बारात के लिए गाड़ी और खाने-पीने का प्रबंध न…

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झारखंड: पाकुड़ के 14 गांवों ने जंगल बचाने की अनोखी पहल, अब महुआ बिना आग के होगा संग्रह

पाकुड़, अप्रैल 2025 — झारखंड के पाकुड़ ज़िले के लिट्टीपाड़ा प्रखंड में जंगलों को बचाने की एक अनोखी और प्रेरणादायक पहल शुरू हुई है। यहां के 14 गांवों ने मिलकर महुआ के मौसम में जंगल में परंपरागत रूप से लगाई जाने वाली आग की जगह अब वैकल्पिक, टिकाऊ और पर्यावरण-संवेदनशील तरीकों से महुआ एकत्र करना…

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प्रख्यात आदिवासी लेखिका डॉ. रोज केरकेट्टा का निधन: साहित्य और समाज को अपूरणीय क्षति

झारखंड की प्रख्यात आदिवासी लेखिका, कवयित्री, सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षिका डॉ. रोज केरकेट्टा का 84 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनके निधन से न केवल आदिवासी समाज, बल्कि हिंदी और जनजातीय साहित्य जगत को भी एक गहरी क्षति पहुंची है। वे न सिर्फ एक संवेदनशील रचनाकार थीं, बल्कि जनजातीय अस्मिता, भाषा और संस्कृति…

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सरहुल पर्व: जब मछली और केकड़े बन जाते हैं पृथ्वी के जीवन की कहानी के नायक!

🌿 प्रकृति का उत्सव, विज्ञान का रहस्य, और संस्कृति का संगम झारखंड के आदिवासी समुदायों का प्रसिद्ध सरहुल पर्व सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि पृथ्वी और सूर्य के प्रेम की गाथा है। यह वह समय होता है जब सखुआ (साल) के पेड़ों पर नए फूल खिलते हैं, प्रकृति नवजीवन का संदेश देती है, और लोग…

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राँची में सरहुल जुलूस का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

राँची में सरहुल जुलूस का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य परिचय सरहुल, झारखंड और आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदायों का प्रमुख पर्व है। यह प्रकृति और पूर्वजों की पूजा का उत्सव है, जिसे मुख्य रूप से उरांव, मुंडा और हो समुदाय बड़े उत्साह से मनाते हैं। राँची, जो झारखंड की राजधानी है, में सरहुल जुलूस…

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ओडिशा में आदिवासी ईसाइयों पर घर वापसी का दबाव: फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट

ओडिशा के नबरंगपुर जिले के सिउनागुडा गांव में चार आदिवासी ईसाइयों को अपने परिजन के अंतिम संस्कार के लिए हिंदू धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया गया। यह खुलासा छह सदस्यीय फैक्ट-फाइंडिंग टीम की रिपोर्ट में हुआ है, जिसने बालासोर में समुदाय के नेताओं और ग्रामीणों से बातचीत के बाद यह निष्कर्ष निकाला। दफनाने के…

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नेतरहाट फायरिंग रेंज आंदोलन: शांतिपूर्ण संघर्ष की मिसाल

नेतरहाट, झारखंड – नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के खिलाफ आदिवासी समुदाय द्वारा चलाया गया आंदोलन भारतीय इतिहास में शांतिपूर्ण संघर्ष की एक अद्वितीय मिसाल है। लगभग तीन दशकों तक चले इस आंदोलन ने सरकार को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया। प्रत्येक वर्ष 22 और 23 मार्च को इस आंदोलन की याद…

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तमिलनाडु के आदिवासी समुदायों को ST प्रमाण पत्र प्राप्त करने में कठिनाई क्यों हो रही है?

आज़ादी के बाद अनुसूचित जनजातियों (Scheduled Tribes) की पहली सूची संविधान के अनुच्छेद 342(2) के अनुसार 1950 में प्रकाशित की गई थी, जिसमें ST को शामिल करने और बाहर करने के लिए स्पष्ट नियम बनाए गए थे। इस सूची में 1956, 1976, 2003, और हाल ही में 3 जनवरी, 2023 को संशोधन किए गए। हालांकि,…

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असम चुनाव और कोच-राजबंशी समुदाय की एसटी दर्जे की मांग

गृह मंत्री अमित शाह के असम दौरे से पहले कोच-राजबंशी समुदाय ने एक बार फिर अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग दोहराई है। यह मांग कोई नई नहीं है, बल्कि पिछले तीन दशकों से यह समुदाय इस दर्जे के लिए संघर्ष कर रहा है। कोच-राजबंशी समुदाय की मांगें शनिवार को कोच-राजबंशी समिति के…

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10 most Expensive cities in the World धरती आबा बिरसा मुंडा के कथन