मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भगोरिया महोत्सव को राज्य स्तरीय पर्व के रूप में मान्यता देने की घोषणा की। सरकार ने आश्वासन दिया कि इस पारंपरिक त्योहार की मौलिकता को बनाए रखते हुए इसे पूरे सम्मान के साथ मनाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने ‘आदिवासी देवलोक महोत्सव’ के दौरान कहा कि वे स्वयं भी इन उत्सवों में शामिल होंगे और राज्य में मनाए जाने वाले सभी आदिवासी त्योहारों को आधिकारिक मान्यता प्रदान की जाएगी। इसके अलावा, सरकार आदिवासी देवस्थलों के विकास और कोरकू महोत्सव के आयोजन में भी पूरा सहयोग देगी।
आदिवासी संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण की प्रतिबद्धता
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने आदिवासी समाज की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि सरकार आदिवासी रीति-रिवाजों, परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
“जय बड़ा देव” और “जय जोहार” के नारों के बीच मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज की भाषा प्रेम और उनकी पूजा पद्धति प्रकृति के प्रति सम्मान को दर्शाती है। उन्होंने ऐतिहासिक आदिवासी नायकों— तांत्या मामा, रानी दुर्गावती, शहीद रघुनाथ शाह और कुंवर शंकर शाह— की वीरता को नमन किया और उन्हें आदिवासी विरासत का गौरवशाली प्रतीक बताया।

आदिवासी कलाकारों और धार्मिक स्थलों के लिए वित्तीय सहायता
सरकार ने आदिवासी कला और संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय सहायता की भी घोषणा की:
- प्रत्येक आदिवासी नर्तक और संगीतकार को ₹5,000 की प्रोत्साहन राशि
- आदिवासी देवस्थलों, पूजा स्थलों और ग्राम पंचायतों को ₹3,000 की वित्तीय सहायता
मुख्यमंत्री ने मंच पर लाभार्थियों को चेक वितरित कर यह संदेश दिया कि आदिवासी कल्याण सरकार की प्राथमिकता है।
आदिवासी नेतृत्व और स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ावा
इस आयोजन में पूरे मध्य प्रदेश से 16,000 से अधिक आदिवासी धार्मिक नेताओं ने भाग लिया। इन नेताओं का चयन ग्राम सभाओं के माध्यम से किया गया था। सरकार ने इन्हें सूचना किट वितरित की ताकि वे अपने समुदाय में सरकारी योजनाओं की जानकारी फैला सकें।
साथ ही, यह पहल सिकल सेल एनीमिया जैसी बीमारियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने में भी मददगार साबित होगी।
समुदाय को नई पहचान, संस्कृति को मिलेगा संरक्षण
भगोरिया महोत्सव को राज्य स्तरीय पर्व घोषित करने और विभिन्न योजनाओं के तहत आदिवासी संस्कृति को संरक्षित करने की इस पहल से समुदाय को नई पहचान मिलेगी। यह निर्णय आदिवासी समाज के आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री दुर्गा दास उइके ने राज्य सरकार की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि ‘देवलोक महोत्सव’ आदिवासी विरासत को सहेजने में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आदिवासी समुदायों के विकास के लिए किए गए प्रयासों को भी रेखांकित किया।
सरकार की यह प्रतिबद्धता आदिवासी समाज को सशक्त बनाने, उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने और उनकी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।