Adivasi School

सम काइंड ऑफ़ ‘अफरमेटिव ऐक्शन’ संकुचित नहीं एक बृहत् सोच है

सम काइंड ऑफ़ ‘अफरमेटिव ऐक्शन’ लगभग सभी देशों में है जिसके तहत देश, राज्य, समाज, और गांव के समुचित विकास के लिए प्रयास किया जाता रहा है. कुछ भी नहीं तो बेरोजगारी भत्ता, बृद्धा पेंशन जैसी सुविधाएँ हैं. जिस दिन हरेक गांव, बस्ती, राज्य और देश अपना बाजार और विकास संभाल लेगा उस दिन सरकार…

Read More

The Downfall of Jairam Mahto: From Jharkhandi Voice to Political Missteps

In recent years, Jharkhand witnessed the sudden rise of a new face in regional politics — Jairam Mahto. Emerging from the Jharkhandi language movement, he built his identity as a fiery speaker and uncompromising advocate for Jharkhand’s cultural and linguistic pride. For many, his speeches carried the pulse of a long-neglected sentiment. So powerful was…

Read More

Film review: Humans In the loop

‘Humans in the Loop’ फिल्म देख आयी। झारखण्ड राँची जिले के जोन्हा के आसपास बसे गाँव की कुड़ुख आदिवासी लड़की नेह्मा पर केन्द्रित कहानी है। लड़की के बहाने कई अहम समस्याएँ उभरकर आती है : ■ढुकू विवाह(लड़का-लड़की भर की रजामंदी विवाह) के बाद अलग होने पर नेह्मा का अपना संघर्ष है। लौटकर वह गाँव से…

Read More

Development’s Shadow: How Projects in Karnataka Threaten Adivasi Land

On August 9, a signboard appeared outside the Nanachi gate of Karnataka’s Nagarahole Tiger Reserve. It read simply: “You are entering our ancestral land, respect it.” The board, put up by Adivasi residents of Virajpet taluk in Kodagu district, coincided with World Indigenous Day. Its message was clear—an assertion of rights over land and forests,…

Read More

हेमंत युग नहीं, झारखंडी चेतना का पुनर्जागरण है यह

झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के केंद्रीय अध्यक्ष के रूप में हेमंत सोरेन की नियुक्ति को केवल सत्ता हस्तांतरण कहना राजनीतिक दृष्टिकोण की संकीर्णता होगी। यह झारखंडी जनचेतना के नेतृत्व का आधिकारिक स्वीकार है—एक ऐसा नेतृत्व जो जंगल, जमीन, और जल के अधिकार की नहीं, बल्कि आधुनिकता और आत्मनिर्भरता की खोज में लगी एक जनजातीय आत्मा…

Read More

सरहुल पर्व: जब मछली और केकड़े बन जाते हैं पृथ्वी के जीवन की कहानी के नायक!

🌿 प्रकृति का उत्सव, विज्ञान का रहस्य, और संस्कृति का संगम झारखंड के आदिवासी समुदायों का प्रसिद्ध सरहुल पर्व सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि पृथ्वी और सूर्य के प्रेम की गाथा है। यह वह समय होता है जब सखुआ (साल) के पेड़ों पर नए फूल खिलते हैं, प्रकृति नवजीवन का संदेश देती है, और लोग…

Read More

‘डार्क हॉर्स’ और नजीर हेम्ब्रोम: भाषा, अनुवाद और सांस्कृतिक संवाद

‘डार्क हॉर्स’ ‘नजीर हेम्ब्रोम’ को डार्क हॉर्स का ओलचिकी लिपि का इस्तेमाल करते हुए अनुवाद के लिए, साथ ही साहित्य अकादेमी अवार्ड मिलने पर तहे दिल से बधाई. “डार्क हॉर्स” एक अंग्रेज़ी मुहावरा है, जिसका अर्थ है अप्रत्याशित रूप से सफलता प्राप्त करने वाला व्यक्ति। हिंदी में इसे ‘छुपा रुस्तम’ भी कहा जा सकता है।…

Read More

बिरसा आंदोलन के 125 साल बाद आदिवासियों के लिए क्या बदला?

बिरसा मुंडा: कल आज और कल-1 कृति मुण्डा नाम है उसका, घर के चौथे मंजिल में लगभग बंद सी रहती है. दिन में शायद ही कभी निकलती है. सबसे खास बात है उसे निकलने नहीं दिया जाता है. अब उसे आदत सी हो गयी है कि अब उसे निकलने की जरुरत भी नहीं पड़ती है….

Read More

झारखण्ड और पड़ोसी राज्यों में भाषा और लिपि की लड़ाई सिर्फ गलत और सही की लड़ाई नहीं है भाग-1

दरअसल ये आदिवासी-आदिवासियत और आदिवासी अस्तित्व की लड़ाई है या तो आप रोमन साम्राज्य के साथ हैं या संताल समाज के साथ. क्षणिक भर के लिए आप रोमन साम्राज्य से प्रभावित हो सकते हैं लेकिन सभ्यता की लड़ाई में आपको ओलचिकी और संताली भाषा का कम से कम — 500/ 1000 साल का भविष्य का…

Read More
10 most Expensive cities in the World धरती आबा बिरसा मुंडा के कथन