एड्स डे हर साल 1 दिसंबर को एड्स के प्रति जागरूकता बढ़ाने, HIV से संक्रमित लोगों के साथ एकजुटता दिखाने और इस बीमारी की रोकथाम के प्रयासों को मजबूत करने के लिए मनाया जाता है। यह दिन समाज में HIV/AIDS से जुड़े कलंक को दूर करने और वैश्विक स्तर पर इसके खिलाफ लड़ाई में प्रगति का आकलन करने का अवसर प्रदान करता है।
एड्स (AIDS – Acquired Immunodeficiency Syndrome) एक घातक बीमारी है, जो मानव इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) के संक्रमण के कारण होती है। यह वायरस शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देता है, जिससे व्यक्ति सामान्य संक्रमणों और बीमारियों से लड़ने में असमर्थ हो जाता है। एड्स का कोई निश्चित इलाज नहीं है, लेकिन एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
एड्स का पहला मामला:
एड्स का पहला मामला 1981 में अमेरिका के लॉस एंजेलेस में पाया गया था। डॉक्टरों ने पांच पुरुषों में दुर्लभ प्रकार के निमोनिया (पनेउमोसिस्टिस निमोनिया) और कुछ अन्य बीमारियों का पता लगाया। ये सभी पुरुष समलैंगिक समुदाय से जुड़े थे। इस घटना को एड्स महामारी की शुरुआत माना जाता है। हालांकि, एड्स का कारण बनने वाले HIV वायरस की पहचान 1983 में फ्रांसीसी वैज्ञानिक ल्यूक मॉन्टेनियर और फ्रांकोइस बैरे-सिनूसी ने की थी, जिनके लिए उन्हें 2008 में नोबेल पुरस्कार दिया गया।
एड्स के कारण और लक्षण:
HIV वायरस मुख्यतः संक्रमित व्यक्ति के रक्त, वीर्य, योनि द्रव, और स्तन के दूध के संपर्क में आने से फैलता है। यह असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित सुइयों के उपयोग, रक्त संक्रमण, और संक्रमित मां से बच्चे में प्रसव या स्तनपान के दौरान फैल सकता है।
एड्स के प्रमुख लक्षणों में लगातार बुखार, वजन कम होना, थकावट, बार-बार संक्रमण, और त्वचा पर घाव शामिल हैं।
एड्स के वैश्विक आंकड़े:
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 2023 तक दुनिया में लगभग 39 मिलियन लोग HIV से संक्रमित थे। इनमें से लगभग 28 मिलियन लोग एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी पर हैं। हर साल लगभग 1.3 मिलियन लोग नए संक्रमण का शिकार होते हैं, और 630,000 लोग इस बीमारी के कारण अपनी जान गंवा देते हैं।
भारत में एड्स की स्थिति:
भारत में एड्स का पहला मामला 1986 में चेन्नई में दर्ज किया गया था। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) के अनुसार, 2023 में भारत में लगभग 24 लाख लोग HIV से संक्रमित थे। हालांकि, सरकार और विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों के प्रयासों से नए संक्रमण और मृत्यु दर में कमी आई है।
एड्स से बचाव:
एड्स से बचने के लिए जागरूकता सबसे महत्वपूर्ण है। सुरक्षित यौन संबंध बनाएं, संक्रमित सुइयों का उपयोग न करें, और रक्त चढ़ाते समय HIV परीक्षण सुनिश्चित करें। गर्भवती महिलाओं के लिए HIV परीक्षण और उपचार महत्वपूर्ण है, ताकि बच्चे को संक्रमण से बचाया जा सके।
एड्स मानव इतिहास की सबसे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। हालांकि, वैश्विक स्तर पर की गई वैज्ञानिक प्रगति और सामाजिक प्रयासों ने इसके प्रभाव को नियंत्रित करने में मदद की है। फिर भी, जागरूकता और नियमित जांच इसके खिलाफ सबसे बड़ा हथियार है। प्रत्येक व्यक्ति को इस बीमारी के प्रति सतर्क रहना चाहिए और इसके प्रसार को रोकने में योगदान देना चाहिए।