झारखंड के साहिबगंज ज़िले में एक दर्दनाक घटना सामने आई है। यहां गांववालों ने 60 वर्षीय आदिवासी बुज़ुर्ग की बेरहमी से पिटाई कर दी, जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई।
यह घटना टेलोटोक गांव की है, जो तीनपहाड़ थाना क्षेत्र के बड़ा दुर्गापुर पंचायत के अंतर्गत आता है। बताया जाता है कि गांव में पूर्व ग्राम प्रधान की मृत्यु के बाद एक पंचायत बैठक आयोजित की गई थी। इसी बैठक के दौरान यह हिंसक घटना हुई।
मामला क्या है?
पुलिस के अनुसार मृतक की पहचान गुहिया पहाड़िया के रूप में हुई है। राजमहल के एसडीपीओ विलेश कुमार त्रिपाठी ने बताया कि शुरुआती जांच में यह सामने आया है कि गुहिया ने करीब दस दिन पहले दिवंगत ग्राम प्रधान की मौत का मज़ाक उड़ाया था। इसी बात से आक्रोशित ग्रामीणों और प्रधान के परिजनों ने उन्हें पकड़ लिया।
आरोप है कि पंचायत के दौरान गुहिया को पेड़ से बांधकर बांस की लाठियों, मुक्कों और लातों से लगातार पीटा गया। चोटों की वजह से उन्होंने मौके पर ही दम तोड़ दिया।
परिवार का आरोप
वहीं मृतक की पत्नी चांदनी पहाड़िन और बेटी सोनाली पहाड़िन ने अलग ही कहानी बताई। उनके मुताबिक गांव वाले गुहिया पर टोना-टोटका करने का आरोप लगा रहे थे। परिवार का कहना है कि पूर्व ग्राम प्रधान की मौत के लिए ग्रामीणों ने गुहिया को ज़िम्मेदार ठहराया और आरोप लगाया कि उन्होंने काला जादू कर यह घटना करवाई।
चांदनी पहाड़िन ने दावा किया कि पूर्व ग्राम प्रधान के परिजन इस हमले के पीछे मुख्य रूप से शामिल हैं और उन्हीं की वजह से उनके पति की जान गई।
पुलिस की कार्रवाई
परिवार की शिकायत पर तीनपहाड़ थाना पुलिस ने दो आरोपियों—पॉल मालतो और सुशील मालतो—को गिरफ्तार कर लिया है। बाकी आरोपियों की तलाश की जा रही है। पुलिस का कहना है कि दोनों पक्षों के आरोपों की जांच की जा रही है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई तय होगी।
बड़ा सवाल
यह घटना कई गंभीर सवाल खड़े करती है। अगर यह मामला केवल किसी की मौत पर मज़ाक उड़ाने से जुड़ा है, तब भी किसी को कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है। वहीं अगर यह हत्या टोना-टोटका के शक में की गई है, तो यह समाज में फैले अंधविश्वास और कुप्रथाओं की भयावह तस्वीर पेश करता है।
सच्चाई चाहे जो भी हो, समाधान हमेशा कानून और न्याय के दायरे में ही होना चाहिए, न कि हिंसा और भीड़ की सज़ा से।