सरना धर्म कोड की मांग को लेकर आदिवासी सेंगेल अभियान 8 नवम्बर को झारखंड के रांची स्थित मोरहाबादी मैदान में जनसभा आयोजित की. जिसमें झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश से बड़ी संख्या में आदिवासी शामिल हुए. जनसभा के द्वारा देश के 15 कराेड़ आदिवासियों के लिए सरना धर्म कोड की मांग की.
इस अवसर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र में भाजपा या कांग्रेस, जो पार्टी सरना धर्म कोड की बात करेगी, आगामी लोस चुनाव में देश के आदिवासी उस पार्टी को वोट देंगे. यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 नवंबर को उलिहातू दौरा में इसकी घोषण करते हैं, तो यह समर्थन भाजपा को जायेगा.
उन्होंने कहा कि यदि आदिवासियों को उनकी धार्मिक आजादी नहीं मिलती है, तो 30 दिसंबर को भारत बंद करेंगे. इन 50 दिनों में हर गांव- गांव में घूम कर इसे चुनावी मुद्दा बनाया जायेगा. हमें इस मुद्दे पर राजनीति और कूटनीति करनी होगी. कहा कि भारत में ही आदिवासी राष्ट्र की अवधारणा को धरातल पर उतारा जाये. जिस तरह जिस तरह बंगालियों के लिए बंगाल, पंजाबियों के लिए पंजाब, गुजरातियों के लिए गुजरात बना है. तभी उनकी भाषा, धर्म, नौकरी, इज्जत, जमीन आदि बच पायेंगे. राजनीतिक पार्टियां या तथाकथित आदिवासी संगठन इनकी मदद नहीं कर पा रहे क्योंकि वे राजनीतिक विचारधाराओं के बीच बंटे हैं, जिसमें आदिवासियों के मुद्दे गौण हैं. पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था को भी जनतांत्रिक बनाने की आवश्यकता है.
जनसभा के दौरान सरना धर्म कोड के लिए स्व डॉ करमा उरांव के योगदान को स्मरण करते हुए उनकी धर्मपत्नी शांति उरांव को सम्मानित किया गया. इसी तरह संताली भाषा आंदोलन के योद्धा स्वर्गीय साहेब राम मुर्मू की भूमिका को देखते हुए उनके पुत्र देवदुलाल मुर्मू को सम्मानित किया गया.
10 दिसंबर को मरांग बुरु बचाओ सेंगेल यात्रा
उन्होंने कहा कि मरांग बुरु (पारसनाथ पहाड़, गिरिडीह) को बचाने के उद्देश्य से 10 दिसंबर को मरांग बुरु बचाओ सेंगेल यात्रा निकाली जायेगी. देशभर के आदिवासी 10 दिसंबर को मधुबन, पारसनाथ, गिरिडीह में जमा होंगे.